राजस्थान के सीकर में सिद्ध पीठ बालाजी का मंदिर है। इस मंदिर में श्रद्धालुओं की बेहद श्रद्धा है। शेखावाटी के इतिहास में पहली बार कुछ ऐसा होने जा रहा है जो बेहद खास है। इस मंदिर के इतिहास में पहली बार 2700 किलो के रोटे का महाभोग बालाजी महाराज को लगाया गया है। इस भोग को लगाने के बाद भक्तों में वितरित किया गया है।
कई क्विंटल लगा सामान
बता दें कि रोट को बनाने में क्रेन की मदद ली गई है। इस विशाल रोट को बनाने में 20 रसोइयों ने काम किया और एक क्रेन की भी इसमें मदद लगी है। इस रोट की गोलाई जहां 11 फीट है वहीं इसकी मोटाई दो फीट है। इस रोट को बनाने के लिए काफी अधिक मात्रा में सामग्री भी लगी है। इस रोट को बनाने के लिए 11 क्विंटल आटे, 11 क्विंटल मेवा, 400 लीटर गाय का दूध, घी उपयोग में लाया गया था। इसके अलावा सवा सौ किलो सूजी भी इस रोट में डाली गई है, जिसके बाद इसे बनाया गया है। महाभोग की सिकाई भिलाई एवं पूरा देखरेख का कार्यक्रम जोधपुर के संत श्री राम दास महाराज पूनासर बापजी के सानिध्य में हुआ।
इस महाप्रसाद को बनाए जाने के संबंध में बालाडी ट्रस्ट मंदिर के महंत ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि इस महाभोग प्रसाद को 25 हजार भक्तों में वितरित किया जाएगा। गौरतलब है कि सीकर स्थित इस प्रसिद्ध बालाजी पीठ मंदिर में बीते 24 घंटों से ही लगातार धार्मिक अनुष्ठान हो रहे है। भक्त लगातार यहां आ रहे है। इस खास आयोजन के दौरान बालाजी भगवान से देश और प्रदेश की खुशहाली की कामना की गई है। भक्तों का कहना है कि इतने बड़े स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन सिर्फ बालाजी महाराज की कृपा से हो सका है।
#WATCH | Rajasthan: Mahabhog of 2,700 kg bread was offered to Siddha Peeth Balaji Temple in Sikar. Mahaprasad will be distributed to about 25,000 devotees. The whole work of rolling and baking Mahabhog was done under the supervision of Pandit Ramdas Ji Maharaj Punasar Baapji of… pic.twitter.com/2koWtKp1Rv
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) July 1, 2023
दो महीने से चल रही थी तैयारियां
जानकारी के मुताबिक इस रोट को बनाने के लिए तैयारियां दो महीने पहले से ही शुरू कर दी गई थी। मंदिर के पदाधिकारियों ने ये भी दावा किया है कि ये विश्व का सबसे बड़ा रोट है। बता दें कि इतने विशाल रोट को बनाने के लिए खर्चा भी काफी अधिक आया है। इस रोट का निर्माण 20 लाख रुपये में किया गया है। इतने विशाल रोट को बनाने के लिए आम किचन में मिलने वाली सामग्री का उपयोग नहीं हो सकता था। ऐसे में इसके लिए स्पेशल तवा, बेलन और मिक्सर बनवाया गया। इस रोट को बनाने के लिए 300 किलो का तवा बना और 250 किलो का बेलन भी बनवाया गया, जिससे रोट को बेला और सेका गया।