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राजेश दास सेवा के दौरान यौन दुराचार के लिए दोषी ठहराए जाने वाले तीसरे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी

तमिलनाडु पुलिस के पूर्व विशेष महानिदेशक (कानून व्यवस्था) राजेश दास, के पी एस गिल और एस पी एस राठौड़ के बाद संभवत: भारतीय पुलिस सेवा के तीसरे वरिष्ठ अधिकारी हैं, जिन्हें सेवा के दौरान यौन दुराचार के लिए दोषी करार दिया गया है।
दास को तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले की एक अदालत ने 2021 की शुरुआत में एक महिला पुलिस अधीक्षक का यौन उत्पीड़न करने के मामले में शुक्रवार को तीन साल के कैद की सजा सुनाई। उस घटना के बाद से अधिकारी को सेवा से निलंबित कर दिया गया था।
दास से पहले, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एस पी एस राठौड़ एवं के पी एस गिल को यौन उत्पीड़न के लिए दोषी ठहराया गया था।
राठौड़ को 1990 में 14 साल की रुचिका गिरहोत्रा के साथ छेड़खानी करने के आरोप में दोषी करार दिया गया था।

यह घटना उस वक्त हुई थी]जब राठौड़ हरियाणा के पुलिस महानिरीक्षक थे।
उभरती टेनिस खिलाड़ी रुचिका ने आत्महत्या कर ली थी, क्योंकि उसके परिवार और दोस्तों को परेशान किया गया था और उसके भाई को अवैध रूप से हिरासत में ले कर पुलिस ने प्रताड़ित किया था।
राठौड़ को 2009 में छह महीने जेल की सजा सुनाई गई थी। मामले की जांच करने वाले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की दलील पर सजा को बढ़ाकर 18 महीने कर दिया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने नवंबर 2010 में राठौड़ को इस शर्त पर जमानत दे दी कि वह चंडीगढ़ में ही रहेंगे।
उच्चतम न्यायालय ने बाद में छेड़खानी मामले में राठौड़ की सजा को बरकरार रखा, लेकिन उनकी उम्र को देखते हुये उनकी सजा को कम कर छह महीने कर दिया।
राठौड़ पहले ही छह महीना जेल में बिता चुके थे।

पंजाब पुलिस के पूर्व प्रमुख के पी एस गिल को भारतीय प्रशासनिक सेवा की एक महिला अधिकारी का शील भंग करने के आरोप में दोषी ठहराया गया था, लेकिन पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने उनकी तीन महीने की जेल की अवधि को ‘परिवीक्षा (प्रोबेशन)’ में बदल कर जेल जाने से बख्श दिया था।
शीर्ष अदालत ने 2005 में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के गिल को दोषी करार दिये जाने के फैसले को बरकरार रखा था।
पंजाब से आतंकवाद का सफाया करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले गिल को चंडीगढ़ की एक अदालत ने छह जनवरी 1996 को एक महिला आईएस अधिकारी का शील भंग करने का दोषी ठहराया था।
यह आरोप लगाया गया था कि शराब के नशे में धुत गिल ने 18 जुलाई 1988 को अपने आवास पर एक वरिष्ठ नौकरशाह द्वारा आयोजित पार्टी में भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी रूपन देओल बजाज की पीठ थपथपाई थी।

 भारतीय पुलिस सेवा के एक अधिकारी पी एस नटराजन को यौन उत्पीड़न के आरोप में 2012 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था, लेकिन 2017 में झारखंड की एक अदालत ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में उन्हें बरी कर दिया।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने दास को तीन साल की सजा सुनाते हुये उन्हें जमानत दे दी और अपील करने के लिये 30 दिन का समय दिया है।
दास के साथ आरोपित किए गए पुलिस अधीक्षक स्तर के एक अधिकारी डी कन्नन की समीक्षा याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने 2021 में कहा था, ‘‘भारतीय पुलिस सेवा की एक महिला अधिकारी अगर यौन उत्पीड़न का शिकार हो सकती है, तो पदानुक्रम में नीचे की महिला पुलिसकर्मियों के बारे में कहने की जरूरत नहीं है।’’
कन्नन ने उन्हें मामले से बरी करने का अनुरोध करते हुये एक पुनरीक्षण आवेदन दायर किया था, क्योंकि वह अपने वरिष्ठ के आदेशों का पालन कर रहे थे।
कन्नन पर महिला आईपीएस अधिकारी को दास के खिलाफ शिकायत दर्ज करने से रोकने का आरोप लगाया गया था।
उन्होंने तर्क दिया था कि उनके खिलाफ आरोप हटा दिए जाने चाहिए, क्योंकि वह केवल दास के निर्देशों का पालन कर रहे थे।
हालांकि, मद्रास उच्च न्यायालय ने उन्हें कड़ी फटकार लगाते हुये उनसे पूछा था कि क्या वह अपने वरिष्ठों के कहने पर हत्या कर सकते हैं।

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