रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि तीन शताब्दियों के ब्रिटिश शासन ने भारतीयों को अपनी गौरवशाली परंपराओं के बारे में जानने से रोका था।
सिंह ने यहां स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मजबूत भारत के निर्माण के वास्ते आज के युवाओं का देश के गौरवशाली अतीत और इसकी महान सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विरासत के बारे में जानना बहुत जरूरी है।’’
रक्षा मंत्री ने कहा कि अतीत में भारत की आध्यात्मिक और बौद्धिक श्रेष्ठता की अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति सहज थी।
उन्होंने चीनी विद्वानों का हवाला दिया, जिन्होंने ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में भारत की पथप्रदर्शक भूमिका को स्वीकार किया था।
पेकिंग विश्वविद्यालय के एक पूर्व कुलपति का जिक्र करते हुए, जिन्होंने बाद में संयुक्त राष्ट्र में चीन का प्रतिनिधित्व किया था, सिंह ने कहा, ‘‘भारत एक भी सैनिक भेजे बिना 2,000 से अधिक वर्षों तक सांस्कृतिक रूप से चीन पर हावी रहा है।’’
साथ ही फ्रांसीसी दार्शनिक वोल्टेयर को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि वह कहा करते थे, ‘‘सब कुछ गंगा के किनारे से हमारे पास आया है।’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इंडोनेशिया जो मूल रूप से एक इस्लामिक देश है और थाईलैंड जो बौद्ध देश है, ने रामायण को अपनी सांस्कृतिक विरासत के हिस्से के रूप में मान्यता दी है।
उन्होंने दीक्षांत समारोह में उपाधि से सम्मानित छात्रों से यह याद रखने को कहा कि वे एक महान देश से संबंध रखते हैं और अपना सारा ज्ञान राष्ट्र निर्माण एवं सामाजिक बेहतरी के लिए समर्पित करें।
सिंह ने छात्रों से जीवन भर सीखते रहने और असफलता से कभी भी न घबराने की भी अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी असफलताओं से हमें निराश नहीं होना चाहिए। हमें उनसे सीख लेनी चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए।’’
मंत्री ने छात्रों को उपभोक्तावाद के खतरों से भी आगाह किया, जो लोगों को ‘यूज एंड थ्रो’ (इस्तेमाल करो और फेंको) की संस्कृति की ओर धकेलता है।
उन्होंने कहा कि देश में युवाओं में अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम में रखने की ‘‘बढ़ती’’ प्रवृत्ति उपभोक्तावाद का परिणाम है और यह एक ऐसी अवधारणा है जो पश्चिम से आई है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत में वृद्धाश्रम की बात कर रहे हैं? समाज को क्या हो रहा है?’’
सिंह ने कहा, ‘‘दुनिया को ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की अवधारणा देने वाले देश के लोग वृद्धाश्रम की बात कर रहे हैं।’’
उन्होंने छात्रों से माता-पिता का सम्मान करने को कहा।