चीन की बढ़ती चुनौतियों के बीच भारत और अमेरिका ने रक्षा क्षेत्र में अपनी साझेदारी को और मजबूत करते हुए कई बड़े ऐलान किये हैं। खास बात यह है कि दोनों देश सिर्फ चीन ही नहीं बल्कि आगे आने वाली सभी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भी अपने रक्षा संबंधों को नई दिशा दे रहे हैं। चार देशों की यात्रा पर निकले अमेरिकी रक्षा मंत्री का भारत का यह दौरा इस मायने में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 15 दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा पर जाने वाले हैं।
अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भारत के अपने समकक्ष राजनाथ सिंह के साथ व्यापक चर्चा के बाद कहा है कि भारत और अमेरिका ने रक्षा औद्योगिक सहयोग के लिए एक महत्वाकांक्षी रूपरेखा तैयार करने का फैसला किया है। ऑस्टिन ने एक संवाददाता सम्मेलन में भारत-अमेरिका वैश्विक सामरिक साझेदारी को मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की ‘‘आधारशिला’’ भी बताया। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से सार्थक चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारी साझेदारी तेजी से बढ़ रही है और हम रक्षा औद्योगिक सहयोग का विस्तार करने पर विचार कर रहे हैं।
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वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी लॉयड ऑस्टिन से व्यापक चर्चा करने के बाद कहा कि मुक्त, खुले और नियम आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए भारत-अमेरिका साझेदारी महत्वपूर्ण है। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत क्षमता निर्माण तथा रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में अमेरिका के साथ मिलकर काम करने को उत्सुक है। राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘मेरे दोस्त रक्षा मंत्री ऑस्टिन से नयी दिल्ली में मुलाकात करके खुश हूं। हमारी बातचीत सामरिक हितों के अभिसरण और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने समेत कई क्षेत्रों में रक्षा सहयोग मजबूत करने पर केंद्रित रही।’’ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘मुक्त, खुले और नियमों पर आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए भारत-अमेरिका साझेदारी महत्वपूर्ण है। हम क्षमता निर्माण के क्षेत्रों तथा हमारी रणनीतिक साझेदारी और मजबूत करने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम करने को लेकर उत्सुक हैं।’’ बताया जा रहा है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी रक्षा मंत्री को पाकिस्तान के प्रति भी सावधान रहने को कहा है।
यह भी बताया जा रहा है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा मंत्री ऑस्टिन की मुलाकात में लड़ाकू विमानों के इंजन के लिए भारत के साथ प्रौद्योगिकी साझा करने के जनरल इलेक्ट्रिक के प्रस्ताव और अमेरिकी रक्षा उपकरण कंपनी जनरल एटॉमिक्स एयरोनॉटिकल सिस्टम्स इंक से तीन अरब अमेरिकी डॉलर के 30 एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन खरीदने की भारत की योजना पर भी चर्चा हुई। हम आपको बता दें कि
भारत अपने लड़ाकू विमानों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण ‘रूपरेखा’ के तहत देश में लड़ाकू विमानों के इंजन के विनिर्माण की संभावना तलाश रहा है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने जून, 2016 में भारत को एक ‘बड़े रक्षा साझेदार’ का दर्जा दिया था, जिससे अहम रक्षा उपकरणों एवं प्रौद्योगिकी को साझा करने का मार्ग प्रशस्त हुआ। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान कई बड़े रक्षा समझौतों पर मुहर लग सकती है।
ऑस्टिन की भारत यात्रा की बात करें तो आपको बता दें कि वह दो दिन की यात्रा पर रविवार को नयी दिल्ली पहुंचे थे। मानेकशॉ सेंटर में वार्ता से पहले ऑस्टिन ने सलामी गारद का निरीक्षण किया। यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा से दो सप्ताह पहले हुई। अमेरिकी रक्षा मंत्री सिंगापुर से यहां पहुंचे हैं। ऑस्टिन की यह भारत की दूसरी यात्रा है। इससे पहले, उन्होंने मार्च 2021 में भारत की यात्रा की थी। सिंगापुर में ‘शांगरी-ला वार्ता’ में अपने संबोधन में ऑस्टिन ने कहा था, ‘‘भारत के साथ अहम एवं उभरती प्रौद्योगिकी पर हमारी पहल के चलते हम अहम रक्षा उपकरणों को साथ मिलकर विकसित करने का मार्ग ढूंढ़ सकते हैं।’’ हम आपको याद दिला दें कि पिछले साल मई में एक बड़े कदम के तहत राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी तथा रक्षा औद्योगिक सहयोग बढ़ाने के लिए अमेरिका-भारत अहम एवं उभरती प्रौद्योगिकी पहल की घोषणा की थी।