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Rajsthan CM: क्या सीएम पद की रेस से बाहर हुए बाबा बालकनाथ? आखिर सोशल मीडिया पर क्यों देनी पड़ी सफाई

राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री पर सस्पेंस के बीच, योगी बालकनाथ ने शनिवार को इस पद के लिए दावेदार होने से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें “अभी अनुभव हासिल करना बाकी है”। बालकनाथ का नाम सोशल मीडिया पर राजस्थान के सीएम पद के दावेदारों में से एक के रूप में चर्चा में है। अलवर से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद योगी बालकनाथ ने अपनी लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। हाल ही में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में बालकनाथ ने अलवर के तिजारा निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस उम्मीदवार इमरान खान को हराकर जीत हासिल की।
 

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योगी बालकनाथ ने एक्स पोस्ट में लिखा कि पार्टी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जनता-जनार्धन ने पहली बार सांसद व विधायक बना कर राष्ट्रसेवा का अवसर दिया। चुनाव परिणाम आने के बाद से मीडिया व सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं को नज़र अंदाज़ करें। मुझे अभी प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में अनुभव प्राप्त करना है। वैसे भाजपा को लेकर इन दिनों एक बात चर्चा में रहती है और वह .ह है कि जिन नामों की चर्चा मीडिया में हो जाती है, वह नाम किसी बड़े पद की रेस में पीछे हो जाता है। शायद इसी वजह से योगी बालकनाथ को यह सफाई देनी पड़ी है। 
हालांकि, यह बात भी सच है कि बालकनाथ की मुलाकात पार्टी के शीर्ष नेताओं से लगातार हो रही है। यहीं कारण है कि उन्हें मुख्यमंत्री पद का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा है। आपको बता दें कि दो बार मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे; दीया कुमारी, जो विद्याधर नगर से विधायक चुनी गई हैं; महंत बालक नाथ, जो तिजारा निर्वाचन क्षेत्र से विजयी हुए; और झोटवाड़ा निर्वाचन क्षेत्र से विजयी राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को शीर्ष दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। 
 

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इस बीच, भाजपा के मुख्यमंत्री पद के चयन को लेकर अटकलें जारी रहने के बीच, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री राजे ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में उनके आवास पर नड्डा से मुलाकात की। पार्टी की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक राजस्थान में विधायक दल के नेता के चयन के लिए राजनाथ सिंह के अलावा राज्यसभा सदस्य सरोज पांडे और पार्टी महासचिव विनोद तावड़े को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। भाजपा के भीतर इस बात की चर्चा जोरों पर है कि पार्टी दो बार मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे के दावों को नजरअंदाज कर सकती है और उनकी जगह किसी नए चेहरे को राज्य की कमान सौंप सकती है। 

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