इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पंजाब से एक भी सीट नहीं मिली। इसके बावजूद लुधियाना से बीजेपी उम्मीदवार रहे रवनीत सिंह बिट्टू को कैबिनेट में जगह दी गई है। बिट्टू को रेल और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का राज्यमंत्री बनाया गया है। उन्हें पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के हाथों हार का सामना करना पड़ा। तीन बार कांग्रेस के टिकट पर जीते रवनीत सिंह बिट्टू तीन बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। 2009 में उन्होंने आनंदपुर साहिब सीट से चुनाव जीता था। 2014 और 2019 में वह लुधियाना से सांसद चुने गए थे।
2024 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही बिट्टू कांग्रेस छोड़कर बीजेपी के साथ आ गए थे। बीजेपी ने उन्हें लुधियाना से ही चुनाव लड़ाया लेकिन कांग्रेस ने लुधियाना की सीट को प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था। कांग्रेस ने यहां से अपने प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग को चुनाव लड़ाया और बेहद नजदीकी मुकाबले में रवनीत सिंह बिट्टू लगभग 21,000 वोटों के अंतर से चुनाव हारे। सितंबर 2020 में वापस लिए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के अलग हो जाने के बाद से भाजपा ने पंजाब में अकेले अपना रास्ता बनाने की कोशिश की है। बिट्टू को 2024 के लोकसभा चुनाव में लुधियाना में पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने हराया था।
भाजपा का मानना है कि हार के बावजूद बिट्टू उन लोकप्रिय नेताओं में से हैं जो पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने वाली पार्टी पर प्रभाव डाल सकते हैं। आतंकवाद के आरोप में डिब्रूगढ़ जेल में बंद ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह को खडूर साहिब से 1,97,120 मतों के अंतर से हराया, जो पंजाब में सर्वाधिक है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारे के बेटे सरबजीत सिंह ने फरीदकोट लोकसभा सीट 70,053 मतों के अंतर से जीत ली। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल में रवनीत सिंह बिट्टू का शामिल होना भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वह पंजाब में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है। खालिस्तान समर्थकों की जीत के बीच यह प्रतीकात्मक भी है।