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Prajatantra: MP में खेल बिगाड़ेंगे बागी, कांग्रेस और बीजेपी को करनी पड़ रही मशक्कत

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच जोरदार टक्कर है। हालांकि, दोनों बड़ी पार्टियों के लिए बगावत सबसे ज्यादा सिरदर्द बना हुआ है। प्रदेश सरकार में मंत्री का दर्जा प्राप्त नंदराम कुशवाह इस बार निवाड़ी में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के लिए भी चुनौतियां बड़ी हैं। टिकट नहीं मिलने पर आमिर अकिल, जीतेंद्र डागा, कमलेश्वर देवलिया, केके श्रीवास्तव, कमलेश अग्रवाल, शैलेन्द्र चौधरी, जयकांत सिंह, राजेंद्र सिंह सोलंकी, कौशल्या गोटिया समेत कई नेता नाराज हैं। अपने इलाके में दबदबा रखने वाले इन नेताओं की एंट्री से आलाकमान चिंतित है। 
 

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश संगठन महासचिव हितानंद शर्मा बीजेपी में टिकट नहीं मिलने से नाराज नेताओं से बात कर रहे हैं। इनके अलावा केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव और अश्विनी वैष्णव, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश भी मनाने में लगे हुए हैं। वहीं, अगर कांग्रेस की बात करें तो प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला कांग्रेस से बगावत करने वाले नेताओं से बातचीत करने में जुटे हैं। 

– पूर्व सांसद और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिवंगत नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन बुरहानपुर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। डेढ़ साल पहले खंडवा सांसद नंद कुमार सिंह चौहान के निधन के बाद लोकसभा उपचुनाव में बेटे हर्ष वर्धन टिकट के दावेदार थे, लेकिन बीजेपी ने ज्ञानेश्वर पाटिल को मैदान में उतारा था। इस बार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस को टिकट दिया।
– पिछले 2018 विधानसभा चुनाव में बीएसपी के टिकट पर पृथ्वीपुर सीट से चुनाव लड़ने वाले नंदराम कुशवाह 2021 विधानसभा उपचुनाव के दौरान बीजेपी में शामिल हो गए। नंदराम इस चुनाव में निवाड़ी विधानसभा से बीजेपी से टिकट की दावेदारी कर रहे थे। यहां पार्टी ने दो बार के विधायक अनिल जैन को अपना उम्मीदवार बनाया है। अब राज्य मंत्री नंदराम कुशवाह निवाड़ी सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
– केके श्रीवास्तव भी बागी हो गये हैं। वह 2013 से 2018 तक विधायक और नगर पालिका अध्यक्ष रहे हैं। पिछली बार बीजेपी ने उनका टिकट काटकर राकेश गिरी को दे दिया था। वे विधायक चुने गये। इस बार फिर केके श्रीवास्तव दावेदारी कर रहे थे, जबकि बीजेपी ने राकेश गिरी को मैदान में उतारा है। ऐसे में केके श्रीवास्तव निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि, उन्हें मनाने की कोशिश हुई।
– बीजेपी के वरिष्ठ नेता और नगर निगम नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल ने पार्टी से बगावत कर दी है। वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे। उत्तर मध्य विधानसभा से कमलेश अग्रवाल ने नामांकन पत्र दाखिल किया है। उनका आरोप है कि बाहरी उम्मीदवारों को लाकर चुनाव लड़ाया जा रहा है। बीजेपी ने अभिलाष पांडे को मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस ने विनय सक्सेना को मैदान में उतारा है। 

– भोपाल उत्तर विधानसभा सीट पर 6 बार के कांग्रेस विधायक आरिफ अकील के भाई आमिर ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया है। आमिर अपने बड़े भाई की सीट पर टिकट मांग रहे थे। हालांकि, कांग्रेस ने आरिफ अकील के बेटे आतिफ को मैदान में उतारा है। इससे नाराज होकर आमिर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। 
– नरसिंहपुर की गोटेगांव सीट से पूर्व विधायक जितेंद्र डागा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। डागा कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे। पार्टी ने पिछला चुनाव हारे नरेश ज्ञानचंदानी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। 
– जबलपुर की बरगी विधानसभा सीट से पूर्व विधायक सोबरन सिंह के बेटे जयकांत सिंह ने बगावत कर दी है। दो बार के कांग्रेस विधायक सोबरन सिंह के बेटे जयकांत सिंह ने 2018 में भी बरगी विधानसभा से टिकट मांगा था। उन्हें आश्वासन दिया गया था कि 2023 में उन्हें टिकट जरूर मिलेगा। जयकांत सिंह का कहना है कि उनके पिता ने अपना पूरा जीवन कांग्रेस पार्टी को दिया, फिर भी उनकी उपेक्षा की गई।
– बड़नगर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने मौजूदा विधायक मुरली मोरवाल का टिकट काटकर राजेंद्र सिंह सोलंकी को दे दिया था। भोपाल में मोरवाल के समर्थकों ने जमकर हंगामा किया। इसके बाद राजेंद्र सिंह सोलंकी का टिकट बदलकर दोबारा मुरली मोरवाल को दे दिया गया। अब राजेंद्र सिंह सोलंकी ने निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है। 
 

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– पूर्व मंत्री कौशल्या गोटिया के अलावा पूर्व जिला पंचायत सदस्य जमुना मरावी ने टिकट नहीं मिलने से सिहोरा विधानसभा सीट से बगावत कर दी है। दोनों ने सिहोरा से टिकट मांगा था, लेकिन जब कांग्रेस ने उनकी जगह एकता ठाकुर को टिकट दिया तो दोनों नाराज हो गईं। अब दोनों ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

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