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विधानसभा चुनाव में सभी दलों के लिए चुनौती पेश करेगा Amravati क्षेत्र, लोकसभा चुनाव से कांग्रेस बढ़त बनाने में कामयाब

अमरावती महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र की एक लोकसभा सीट है। इस सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। अपनी सांस्कृतिक विरासत और शिक्षा सुविधाओं के कारण अमरावती को विदर्भ की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है। इस जिले में अंबादेवी, श्रीकृष्णा और श्री वेंकटेश्वर स्वामी के मंदिर प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में से एक हैं। विदर्भ का यह क्षेत्र राज्य की राजधानी मुंबई से लगभग 680 किलोमीटर दूर है। इस साल संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बलवंत वानखेड़े ने बीजेपी के नवनीत राणा को लगभग 20 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की थी। तो वहीं, पिछले लोकसभा चुनाव में नवनीत राणा ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 61% मत प्राप्त करके जीत हासिल की थी।
अमरावती लोकसभा क्षेत्र 6 विधानसभाओं को मिलकर बनी है। जिसके अंतर्गत बडनेरा, अमरावती, तिवसा, दर्यापुर, मेलघाट और अचलपुर सीटें शामिल हैं। बडनेरा विधानसभा सीट अमरावती जिले के अंतर्गत ही आती है। 2019 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार रवि राणा ने शिवसेना की प्रीति संजय बंद को बड़े अंतर से हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया था। इस बारस भी बडनेरा में मुकाबला दिलचस्प होने की काफी उम्मीद है, जिसका फैसला क्षेत्र की जनता करेगी। 
तो वहीं, अमरावती विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस के दबदबे वाली सीट है। 1962 में राज्य के गठन के साथ ही अस्तित्व में आयी इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी सिर्फ दो बार ही जीत दर्ज कर सकी है। फिलहाल इस सीट का प्रतिनिधित्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सुलभा खोडगे कर रही हैं। इससे पहले सुलभा 2004 से 2009 के बीच बडनेरा सीट से भी विधायक रह चुकी हैं। उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति में काफी शक्तिशाली महिला माना जाता है क्योंकि वे राज्य की कई इकाइयों की अध्यक्ष और सदस्या भी हैं। 
इस क्षेत्र की तिवसा विधानसभा सीट पर हमेशा से किसी भी पार्टी का दबदबा नहीं रहा है, लेकिन कांग्रेस अन्य पार्टियों की तुलना में काफी मजबूत है। तिवसा अमरावती जिले की ही सीट है, यहां से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी और बीजेपी तीनों ही पार्टियों के विधायक रह चुके हैं। लेकिन पिछले तीन चुनावों से कांग्रेस की यशोमती ठाकुर यहां से लगातार तीन बार विधायक चुनीं जा चुकी हैं। यशोमती ठाकुर उद्धव ठाकरे की सरकार में कैबिनेट मंत्री थीं, लेकिन 2022 में उन्होंने शिवसेना के शिंदे गुट के साथ जाना तय किया और उन्हें फिर से मंत्री पद से नवाजा गया था। 
अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित दर्यापुर विधानसभा सीट के मतदाताओं ने भी हमेशा से किसी एक पार्टी को लंबे समय तक अपना प्रतिनिधित्व नहीं सौंपा है। सिवाय प्रकाशभार साकले के, जो 1990 से लेकर 2006 तक पहले शिवसेना फिर कांग्रेस के टिकट पर विधायक रहे थे। फिलहाल यहां से कांग्रेस के बलवंत वानखेडे विधायक हैं। जबकि पिछली पंचवर्षी में बीजेपी के रमेश बुंदिले को जीत हासिल हुई थी। बलवंत वानखेड़े ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अमरावती सीट से सांसद रहीं नवनीत कौर राणा को शिकस्त दी है। उन्होंने अपना राजनीतिक सफर बतौर सरपंच शुरू किया था और 2019 में वे कांग्रेस के सदस्य बने थे। 
इसके अलावा अमरावती लोकसभा सीट की मेलघाट विधानसभा अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है। जहां से ‘प्रहार जनशक्ति पार्टी’ के राजकुमार पटेल वर्तमान विधायक हैं। इससे पहले यह सीट बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां नियमित अंतराल पर जीतती रहीं हैं। पटेल ने 1999 में भी यह सीट बतौर बीजेपी नेता के रूप में जीती थी। उन्होंने अपना राजनीतिक सफर 1995 में बीएसपी के साथ शुरू किया था। 
ढाई लाख से अधिक मतदाताओं वाली अचलपुर विधानसभा सीट 2004 से बच्चु कडू के नाम ही रही है। 2014 तक उन्होंने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार और 2019 से ‘प्रहार जनशक्ति पार्टी’ के टिकट पर जीत हासिल की है। उनसे पहले यह सीट कांग्रेस के बसुधताई देशमुख के नाम थी। बच्चु फिलहाल एक आपराधिक मामले में 2 साल की जेल की सजा काट रहे हैं। शिवसेना में विघटन के समय उन्होंने शिंदे गुट के विधायकों को कुत्ता कहकर संबोधित किया था। जिसके बाद उनके इस बयान से राज्य में सियासी माहौल और भी अधिक गर्म हो गया था। अमरावती लोकसभा सीट की सभी विधानसभाओं में किसी एक जाति या वर्ग को समेटना किसी भी पार्टी के लिए आसान नहीं रहा है। क्योंकि 2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां लगभग सभी धर्मों और जातियों के लोग रहते हैं। जिसके तहत, बौद्ध 13% मुसलमान 19 प्रतिशत, तो वहीं, अनुसूचित जाति की आबादी 19 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या भी लगभग 14% लगभग है।

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