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मुख्यमंत्री से संबंध ‘बेहद सौहार्दपूर्ण’, टकरावों का निकल सकता है समाधान : बोस

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉक्टर सी.वी. आनंद बोस ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से उनके संबंध “बेहद सौहार्दपूर्ण” हैं और उन्हें राज्य में काम करते समय कोई परेशानी नहीं हुई।
राज्यपाल के तौर पर मंगलवार को एक साल का कार्यकालपूरा होने पर बोस ने कहा कि राज्य की जनता का कल्याण उनकी प्राथमिकता है।
बोस ने यहां राजभवन में ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, “मैं राज्यपाल-मुख्यमंत्री के संबंध को दो स्तरों पर देखता हूं। व्यक्तिगत तौर पर हमारा संबंध बहुत सौहार्दपूर्ण है जो आपसी सम्मान और समझ पर आधारित है। जहां तक राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच संबंधों की बात है तो धारणा अलग हो सकती है क्योंकि जरूरी नहीं कि निर्वाचित मुख्यमंत्री और मनोनीत राज्यपाल हर मुद्दे पर एक जैसा सोचें।”

उन्होंने कहा, “राज्यपाल के रूप में मेरी भूमिका संविधान में निहित है। मैं लोगों की भलाई के लिए काम करता हूं। जब हम संवैधानिक औचित्य के मानदंड को लागू करते हैं, तो सरकार के कुछ कामकाज दोषपूर्ण पाए जा सकते हैं। ऐसे में राज्यपाल को हस्तक्षेप करना होता है। इससे स्पष्ट टकराव हो सकता है। लेकिन टकरावों का समाधान निकाला जा सकता है क्योंकि हमारे संवैधानिक लोकतंत्र में टकरावों को सुलझाने की आंतरिक शक्ति है।”
उन्होंने कहा, “मुझे यहां राज्यपाल के रूप में काम करने में कोई परेशानी नहीं हुई। मैं एक नौकरशाह रहा हूं। मैंने विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ काम किया है। मैं उस पर चलता हूं जो सही है, जो उचित है, जो नैतिक है, जो अच्छा है। मेरे अपने मानक हैं और वे मेरे व्यक्तिपरक मानक नहीं हैं, बल्कि वस्तुनिष्ठ हैं क्योंकि वे संविधान, देश के कानून पर आधारित हैं।”

बोस ने राजभवन से समानांतर प्रशासन चलानेऔर राज्य के मामलों में हस्तक्षेप करने संबंधी तृणमूल कांग्रेस के आरोपों पर कहा, “लोकतंत्र में, कोई भी व्यक्ति अपने विचार स्वतंत्र रूप से, स्पष्ट रूप से और निडर होकर व्यक्त कर सकता है। जरूरी नहीं कि राज्यपाल के विचार और सरकार के विचार समान हों। इस तरह का द्वंद्व लोकतंत्र के लिए स्वाभाविक है। जो मुझे सही लगता है और कानूनी व संवैधानिक है, मैं उसी पर आगे बढ़ता हूं। यही मेरा दृष्टिकोण है।”
उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में आलोचना होनी चाहिए। आपको दर्पण दिखाने वाला कोई होना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि आलोचना से बचना चाहिए। आलोचना अच्छी है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है, मैं इसका स्वागत करता हूं।

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