पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ संदीप घोष का मेडिकल प्रैक्टिशनर पंजीकरण रद्द कर दिया है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज बलात्कार-हत्या मामले के साथ-साथ कॉलेज से संबंधित वित्तीय अनियमितताओं के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है। आरजी कर अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं के सिलसिले में दो सितंबर को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा घोष की गिरफ्तारी के बाद, डब्ल्यूबीएमसी ने सात सितंबर को उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करके तीन दिन के भीतर जवाब देने को कहा था कि उनका मेडिकल पंजीकरण रद्द क्यों नहीं किया जाए।
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मेडिकल काउंसिल ने जारी नोटिस में कहा कि परिषद द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस के जवाब में आपसे 13 दिन बीत जाने के बाद भी कोई भी स्पष्टीकरण प्राप्त न होने के मद्देनजर, इस परिषद द्वारा अपनाई गई चिकित्सा आचार संहिता की धारा 37 (iii) के साथ पठित बंगाल चिकित्सा अधिनियम, 1914 (संशोधित) की धारा 25(ए)(ii) के तहत निहित प्रावधानों के अनुसार 19 सितंबर 2024 से आपका नाम इस परिषद द्वारा बनाए जा रहे पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी के रजिस्टर से हटा दिया गया है।
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घोष ने अधीनस्थ अधिकारियों को शव को जल्द से जल्द मुर्दाघर में भेजने का कथित तौर पर निर्देश दिया। परास्नातक महिला चिकित्सक का शव नौ अगस्त को आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सेमिनार हॉल से बरामद किया गया था। उसके शरीर पर गंभीर चोटों के निशान थे। इस घटना के अगले दिन कोलकाता पुलिस के एक नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। फुटेज में उसे घटना वाले दिन तड़के चार बजकर तीन मिनट पर सेमीनार हॉल में घुसते देखा गया था। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 13 अगस्त को इस मामले की जांच कोलकाता पुलिस से सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था जिसने 14 अगस्त को मामले की जांच संभाली थी।