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उत्तर प्रदेश की राजधानी के पॉश इलाके गोमतीनगर विस्तार में डेढ़ सौ किलोमीटर की स्पीड से कार दौड़ा कर दो रईसजादों ने एक मासूस की जान ले ली। लखनऊ के एएसपी का मासूम बेटा नैमिष एसयूवी कार की टक्कर से करीब 15 फीट हवा में उछल गया था। आनन फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया जहां ढाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस की पूछताछ में सामने आया है कि पकड़े गए दोनों दोस्तों ने एक-दूसरे से तेज कार चलाने के लिए शर्त लगाई थी।
डीसीपी लखनऊ पूर्व आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि पकड़े गए आरोपित इंदिरानगर के सेक्टर-12 निवासी सार्थक सिंह और सेक्टर-6 निवासी देव श्री हैं। नैमिष को टक्कर मारने वाली एक्सयूवी (यूपी 32 एनटी 6669) देव श्री के कानपुर निवासी चाचा आशीष वर्मा की थी। सराफा कारोबारी आशीष की बेटी की कुछ दिन बाद शादी होनी है। बेटी की शादी के लिए शॉपिंग करने वह मंगलवार को लखनऊ आए थे। आशीष ने दो महीने पहले ही एक्सयूवी खरीदी थी। उनके आते ही देवश्री ने दोस्त सार्थक को फोन कर तड़के गोमतीनगर में घूमने का प्लान बनाया। सुबह करीब चार बजे दोनों कार लेकर निकल गए। रास्ते में सार्थक के कहने पर दोनों ने एक-दूसरे से तेज कार चलाने की शर्त लगाई।
पूछताछ में देवश्री ने पुलिस को बताया कि शर्त लगाने के बाद पहले उसने ताज होटल से लेकर जनेश्वर मिश्रा पार्क तक एक्सयूवी दौड़ाई। चार किमी के दायरे में दो बार मीटर 150 तक पहुंच गया। उधर से लौटते समय सार्थक ने स्टेयरिंग संभाली। मिनटों में शर्त जीतने की चाह में सार्थक ने जनेश्वर मिश्र पार्क का गेट नंबर पांच पार किया। गेट-6 तक पहुंचने तक स्पीड 150 से अधिक हो गई। इसी रेस के चक्कर में मासूम नैमिष एक्सयूवी की चपेट में आ गया और उसकी जान चली गई।
मासूम नैमिष को एक्सयूवी से टक्कर मारने के आरोपित सार्थक लखनऊ के एक निजी कॉलेज से लॉ कर रहा है। उसके पिता रविंद्र सिंह बाराबंकी के पूर्व जिला पंचायत सदस्य हैं। उसके साथ गाड़ी में मौजूद सेक्टर-6 निवासी देवश्री वर्मा अयोध्या रोड स्थित एक इंजिनियरिंग कॉलेज से बीटेक कर रहा है।
घटना के बाद पुलिस महकमे का पूरा अमला नैमिष को टक्कर मारने वाली एक्सयूवी की तलाश में जुट गया। जांच में जुटी टीमें ने करीब 25 सीसीटीवी कैमरे खंगाले तब जाकर कार का नंबर साफ दिखाई दिया। पुलिस सीसीटीवी फुटेज और सर्विलांस से सुराग तलाशते हुए सेक्टर-12 स्थित सार्थक के घर पहुंची। पिता रवींद्र ने एक्सयूवी गाड़ी के बारे में जानकारी से इनकार कर दिया। यहीं नहीं रवींद्र ने पुलिस से ये तक कह दिया कि सार्थक नाम का उनका कोई बेटा नहीं है। पड़ोसियों से जानकारी लेकर पुलिस की दो टीमें भी रवींद्र में घर पहुंच गईं। रवींद्र के झूठ बोलने का पता चलते ही पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की, तब उन्होंने गाड़ी के बारे में बताते हुए बेटे को पुलिस के हवाले किया। इसके बाद देवश्री के घर के पास से गाड़ी बरामद करते हुए पुलिस ने देवश्री को भी गिरफ्तार कर लिया। डीसीपी ईस्ट आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि बेटे की गलती का पता होने के बाद भी रवींद्र ने पुलिस को गुमराह किया। उसके खिलाफ भी साक्ष्य छिपाने का केस दर्ज किया जाएगा।