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अरुणाचल प्रदेश की पश्चिम सीट से सांसद चुने गए किरण रिजिजु को एक बार फिर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इस बार वे संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मंत्रालय देखेंगे। तो वहीं मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में उन्होंने कानून और पृथ्वी मंत्रालय का कार्यभार संभाला था। किरन रिजिजू का राजनीतिक जीवन काफी शानदार रहा है। वह चौथी बार सांसद चुनकर आए हैं। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी के साथ 2004 में शुरु की थी।
किरण रिजिजू का जन्म 19 नवंबर 1971 को अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में हुआ था। वे एक राजनीतिक विरासत वाले मजबूत परिवार से आते हैं। क्योंकि उनके पिता अरुणाचल प्रदेश के पहले प्रो-टर्म स्पीकर भी रहे हैं। जिन्होंने राज्य की पहली विधानसभा में सदस्यों को शपथ दिलाई थी। अरुणाचल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद रिजिजु ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बीए किया। इसके बाद 1998 में डीयू की लॉ फैकल्टी से कानून की डिग्री हासिल की। रिजिजु ने अपने छात्र जीवन से ही सार्वजनिक मामलों में गहरी रुचि दिखाई। 2002 में जब वह 31 साल के थे तब उन्हें खादी और ग्रामोद्योग आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था।
वे 2004 में पश्चिम अरुणाचल प्रदेश निर्वाचन क्षेत्र से 14वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए थे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में खूब काम किया और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता के लिए पहचान बनाई। किरण रिजिजु 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए और बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए। तब उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री दोरजी खांडू के सलाहकार के रूप में काम किया। 2014 लोकसभा चुनाव से पहले वह वापस भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और उनके राजनीतिक जीवन का एक बेहतरीन दौर शुरू हुआ।
रिजिजु ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘लुक ईस्ट नीति’ को मजबूती दी और इस नीति को मजबूती देने की दिशा में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरे। 2019 का लोकसभा चुनाव फिर से जीत कर संसद पहुंचे। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर के दौरान कई प्रमुख पदों पर काम किया। कम उम्र में वह बीजेपी में राष्ट्रीय सचिव जैसे उच्च पदों पर रहे। अपनी संसदीय यात्रा के दौरान रिजिजु कानून मंत्री बनाए गए और 2023 तक इस पद पर काम करते रहे। कानून मंत्री रहते समय अपने कार्यकाल के दौरान रिजिजु जजों की नियुक्ति और अदालत की जवाबदेही सहित कई मुद्दों पर न्यायपालिका के साथ टकराते नजर आए। उन्होंने कॉलेजियम सिस्टम को एलियन करार दिया था। हालांकि, न्यायपालिका की लगातार आलोचना करने के कारण उन्हें कानून मंत्री से हटकर पृथ्वी मंत्रालय भेज दिया गया था।