केंद्र से ‘‘दलगत राजनीति’’ से ऊपर उठने का आग्रह करते हुए कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा ने हाल में भारी बारिश के कारण हिमाचल प्रदेश में आई विपदा को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित करने की मंगलवार को मांग की।
शिमला में जारी एक बयान में कहा गया है कि प्रियंका गांधी ने कुल्लू जिले के बारिश प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और राहत तथा मरम्मत कार्यों की समीक्षा की।
उन्होंने केंद्र से ‘दलगत राजनीति’ से ऊपर उठने का आग्रह करते हुए कहा कि उसे यह नहीं सोचना चाहिए कि राज्य में कांग्रेस की सरकार है या भाजपा की।
भारी बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन ने 14 और 15 जुलाई को कुल्लू और मंडी जिलों में भारी तबाही मचाई थी।
बयान में प्रियंका गांधी के हवाले से कहा गया, ‘‘हिमाचल के लोगों ने एकजुट होकर और प्रभावित परिवारों की मदद के लिए आगे आकर देश के लिए एक मिसाल कायम की है।
राज्य में लोग प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित व्यक्तियों की मदद के लिए आगे आए हैं और यहां तक कि बारिश से क्षतिग्रस्त या भूस्खलन से अवरुद्ध सड़कों को खोलने के लिए श्रम दान भी किया है।’’
कांग्रेस नेता ने कुल्लू से मनाली जाते समय प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया, जिसमें भुंतर का संगम पुल भी शामिल है जो जुलाई में भारी बारिश के बाद ब्यास नदी में आई बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो गया था। उन्होंने मनाली के आलू मैदान में बाढ़ पीड़ितों से बातचीत भी की।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसानों को भी भारी नुकसान हुआ है और केंद्र को उनकी पीड़ा पर भी ध्यान देना चाहिए। गांधी ने कहा कि फलों के विपणन में लगे कुछ बड़े औद्योगिक घरानों ने सेब की फसल की कीमत कम कर दी है, जिससे किसानों को नुकसान हुआ है।
प्रियंका सुबह कुल्लू के भुंतर हवाई अड्डा पहुंची। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं एवं स्थानीय किसानों से सेब उत्पादन, परिवहन और बक्सों की कीमतों को लेकर चर्चा की।
बयान में कहा गया है कि केंद्र ने अमेरिका से आयातित सेब पर आयात शुल्क भी कम कर दिया है, जिसका सीधा असर राज्य के किसानों पर भी पड़ेगा और उनका नुकसान होगा। केंद्रीय नेतृत्व को राज्य के किसानों के फायदे के बारे में भी सोचना चाहिए।
इस दौरान, प्रियंका के साथ मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी थे।
कांग्रेस नेता मंडी, शिमला और सोलन जिले का भी दौरा करेंगी।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, प्रदेश में 24 जून को मानसून की शुरुआत से लेकर 11 सितंबर तक 8,679 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। वहीं, बारिश से संबंधित हादसों में 260 लोगों की जान चली गई।
राज्य में मानसून के मौसम के दौरान भूस्खलन की कम से कम 165 और बाढ़ की 72 घटनाएं दर्ज की गईं। भूस्खलन के कारण हुई 111 मौतों में से 94 मौतें कुल्लू, मंडी, शिमला और सोलन जिलों में हुईं जबकि बाढ़ के कारण 19 में से 18 मौतें भी इन्हीं जिलों में हुईं।
मुख्यमंत्री ने राज्य में 12,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हिमाचल प्रदेश में आई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का आग्रह किया है।