Breaking News
-
उत्तराखंड में शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) चुनाव के लिए प्रचार मंगलवार शाम पांच बजे समाप्त…
-
युद्धविराम लागू होने के कुछ दिनों बाद, इज़राइल के शीर्ष जनरल लेफ्टिनेंट जनरल हर्ज़ी हलेवी…
-
हम सब भारत के संविधान की कसमें तो खूब खाते हैं या लोगों को खाते…
-
14-15 अगस्त की दरमियानी रात को जब आधी दुनिया सो रही थी तो हिन्दुस्तान अपनी…
-
ये भारत की आजादी से कुछ हफ्ते पहले की बात है, पंडित जवाहरलाल नेहरू बीआर…
-
आज़ादी के बाद की पहली जनगणना पर बहस में इस बात पर चर्चा शामिल थी…
-
आखिर बीआर आंबेडकर संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष भर थे तो संविधान बनाने…
-
एआईसीसी महासचिव और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि वह, उनके भाई लोकसभा…
-
किसी भी सभ्य समाज के संचालन के लिए कुछ नियम कायदों की जरूरत होती है।…
-
26 जनवरी आने वाली है और गणतंत्र दिवस मनाएंगे। देश का 75वां गणतंत्र दिवस। क्या…
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत वृंदावन गए और यहां उन्होंने प्रेमानंद महाराज जी के दर्शन किए है। प्रेमानंदजी महाराज और मोहन भागवत के बीच मुलाकात का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। प्रेमानंदजी महाराज राधारानी की भक्ति को लेकर सोशल मीडिया पर काफी फेमस है।
इसी बीच मोहन भागवत से भेंट का वीडियो भी सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। इसमें दिख रहा है कि प्रेमानंदजी महाराज के आश्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत पहुंचे है। मोहन भागवत के आश्रम में पहुंचने के बाद आचार्य मोहन भागवत का प्रेमानंदजी महाराज से भेंट करवाते है। इसके बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत सम्मान करने के लिए महाराज जी को पीला दुपट्टा उढ़ाते है। दोनों के बीच ये भेंट पूर्ण रूप से आध्यात्मिक थी।
इस भेंट के दौरान मोहन भागवत ने कहा कि मैंने वीडियो में आपकी बातें सुनी है। मुझे लगा दर्शन कर लेना चाहिए। चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह, ऐसे लोग कम ही दिखते है। इसके बाद प्रेमानंद जी महाराज भी मोहन भागवत से बात करते हुए दिखते है। इस दौरान उन्होंने कहा कि अपने लोगों का जन्म जो भगवान ने दिया है वो सिर्फ सेवा के लिए ही दिया है। व्यावहारिक या आध्यात्मिक सेवा दोनों ही करना अनिवार्य है। सिर्फ व्यवहारिक सेवा होती रही तो भारतवासियों को परम सुखी करना चाहते है। सिर्फ वस्तु और सेवा से नहीं सुखी रह सकते। बौद्धिक स्तर में सुधार होना चाहिए।
इस दौरान महाराज प्रेमानंदजी ने कहा कि हमारे समाज का बौद्धिक स्तर गिरता जा रहा है, जो चिंता का विषय है। हम सुविधाएं दे सकते हैं मगर दिल के मैल, हिंसात्मक प्रवृत्ति, अपवित्र बुद्धि से निजात पाना काफी कठिन होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी नई पीढ़ी राष्ट्र की रक्षा करने वाली है। इनमें से ही एमपी, एमएलए और मुख्यमंत्री बनता है। नई पीठीं में हिंसात्मक प्रवृत्ति देखकर दुख होता है।
मोहन भागवत ने इस दौरान कहा कि वे संत से जो भी सुनते हैं वही बोलते-करते है। हमारी कोशिश रहेगी कि किसी को निराश नहीं करें। इसी के साथ जीना और मरना है।