विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि यदि भारत को कनाडा में अपने राजनयिकों की सुरक्षा में प्रगति नजर आती है तो वह कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं बहुत जल्द फिर से शुरू करने पर विचार कर सकता है।
जयशंकर ने इस बात पर जोर भी दिया कि भारत का कनाडा के साथ राजनयिकों की संख्या में समानता सुनिश्चित करने का निर्णय वियना संधि के अनुरूप है।
उन्होंने कहा कि भारत द्वारा कुछ सप्ताह पहले वीजा सेवाओं को अस्थायी रूप से रोकने के पीछे मुख्य कारण कनाडा में अपने राजनयिकों की सुरक्षा चिंता थी और भारतीय अधिकारियों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करने में ओटावा की असमर्थता राजनयिक संबंधों पर वियना संधि के सबसे बुनियादी पहलू को चुनौती देती है।
जयशंकर ने कहा कि भारत ने राजनयिकों की संख्या के मामले में बराबरी रखने पर इसलिए जोर दिया कि इसे (भारत को) ‘‘हमारे मामलों में कनाडाई कर्मियों के हस्तक्षेप को लेकर चिंताएं थीं।’’ उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है, जब कनाडा ने कुछ दिन पहले भारत से अपने 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया था।
उन्होंने एक परिचर्चा सत्र के दौरान भारत-कनाडा संबंधों को लेकर पूछे गए एक सवाल पर कहा, ‘‘हमने इस बारे में बहुत कुछ सार्वजनिक नहीं किया है। मेरा मानना है कि समय बीतने के साथ और चीजें सामने आएंगी और लोग समझेंगे कि हमें उनमें से कई लोगों के साथ उस तरह की असुविधा क्यों थी।’’
कनाडाई नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं बहाल करने के विषय पर, सरकारी सूत्रों ने कहा कि भारत, कनाडा में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा कर रहा है जिसके कारण सेवाओं को निलंबित किया गया था।
कनाडा की इस दलील को भारत पहले ही खारिज कर चुका है कि 41 कनाडाई राजनयिकों को ओटावा वापस बुलाने संबंधी कदम राजनयिक संबंधों को लेकर वियना संधि का उल्लंघन है।
जयशंकर ने कहा, ‘‘अभी संबंध कठिन दौर से गुजर रहे हैं। हालांकि मैं यह कहना चाहता हूं कि हमारी दिक्कतें कनाडा की राजनीति के एक वर्ग और उससे जुड़ी नीतियों के साथ हैं।’’
गत जून में ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता संबंधी कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा 18 सितंबर को आरोप लगाये जाने के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंधों में तनाव में आ गया।
नयी दिल्ली ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। कुछ दिनों बाद, इसने कनाडाई नागरिकों को वीजा जारी करने को अस्थायी रूप से निलंबित करने की घोषणा की और ओटावा से भारत में अपने राजनयिकों की संख्या में कमी करने के लिए कहा।
जयशंकर ने वीजा सेवाएं फिर से शुरू करने पर कहा, ‘‘यदि हमें कनाडा में अपने राजनयिकों की सुरक्षा में प्रगति दिखती हैं, तो हम वहां वीजा जारी करना फिर से शुरू करना चाहेंगे। मैं उम्मीद करूंगा कि यह कुछ ऐसा है जो बहुत जल्द होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ हफ्ते पहले, हमने कनाडा में वीजा जारी करना बंद कर दिया था, क्योंकि हमारे राजनयिकों के लिए काम पर जाकर वीजा जारी करना सुरक्षित नहीं था। इसलिए उनकी सुरक्षा ही प्राथमिक कारण था, जिसके चलते हमें अस्थायी तौर पर वीजा जारी करना बंद करना पड़ा।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘मैं उम्मीद करता हूं कि स्थिति इस संबंध में बेहतर होगी कि हमारे लोगों को राजनयिक के रूप में अपने मूल कर्तव्य का निर्वहन करने में अधिक आत्मविश्वास होगा, क्योंकि जैसा कि आप जानते हैं, राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना वियना संधि का सबसे बुनियादी पहलू है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अभी, कनाडा में इस तरह की कई चुनौतियां हैं कि हमारे लोग सुरक्षित नहीं हैं, हमारे राजनयिक सुरक्षित नहीं हैं।’’
उन्होंने कहा कि यदि भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा में प्रगति होती है तो भारत वीजा सेवाएं शुरू करेगा।
जयशंकर ने कहा कि लोगों की सबसे ‘‘बड़ी चिंता’’ वीजा को लेकर है।
राजनयिकों की संख्या में समानता पर उन्होंने कहा, ‘‘यह वियना संधि द्वारा प्रदान की गई है, जो इस पर प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय नियम है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरा मुद्दा समानता बनाये रखने का है कि…एक देश में किसी दूसरे देश के कितने राजनयिक हैं, और यह व्यवस्था दोनों देशों पर लागू होती है। यह वियना संधि द्वारा प्रदान की गई है, जो इस पर प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय नियम है।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘हालांकि हमारे मामले में, हमने संख्या बराबर रखने का आह्वान किया, क्योंकि हमें कनाडाई कर्मियों द्वारा हमारे मामलों में लगातार हस्तक्षेप के बारे में चिंता थी।’’
भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों की देश से वापसी को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के उल्लंघन के रूप में ‘‘पेश’’ करने की कनाडा की कोशिशों को शुक्रवार को खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि राजनयिकों की संख्या दोनों ओर समान सुनिश्चित करना राजनयिक संबंधों से जुड़ी वियना संधि के प्रावधानों के अनुरूप है।
भारत का यह बयान तब आया जब कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने बृहस्पतिवार को भारत से राजनयिकों की वापसी की घोषणा करते हुए भारत के कदम को ‘‘अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत और राजनयिक संबंधों पर जिनेवा संधि का स्पष्ट उल्लंघन करार दिया है।’’
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमारे द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति, भारत में कनाडाई राजनयिकों की बहुत अधिक संख्या और हमारे आंतरिक मामलों में उनका निरंतर हस्तक्षेप नयी दिल्ली और ओटावा में राजनयिकों की परस्पर संख्या में बराबरी को वांछित बनाता है।