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Prabhasakshi Vichar Sangam| विविधता में एकता रखने को लेकर साध्वी प्रज्ञा और सुहैब काज्मी ने दिए अपने वक्तव्य

भारत के प्रमुख हिंदी समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी.कॉम की 23वीं वर्षगाँठ पर नई दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में ‘विचार संगम’ कार्यक्रम के आयोजन में विरोधियों ने खुले तौर पर नहीं मगर अंदरुनी तौर पर साथ दिया जा रहा है।
 
साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि मंदिरों को मस्जिदों के नीचे ढूंढा जा रहा है। एक भारतीय और हिंदू के तौर पर हमें अपने समृद्ध इतिहास के बारे में जानना चाहते है। अजमेर में घड़ियाली परंपरा का पालन होता था। अजमेर का नाम भी कुछ और था। साध्वी प्रज्ञा भारती ने कहा कि मैं हिन्दू मुस्लिम करने वाली नहीं हूँ, मैं समाज को जोड़ने में विश्वास करती हूँ। हमें कट्टरवादी लोगों का पता लगाना होगा और उनका बॉयकॉट करना होगा। हम सब एक हैं, एकता अखंडता की बात करते हैं। मेरा ये जानने का हक बनता है कि मस्जिद के नीचे मंदिर है या नहीं। मैं चाहती हूँ कि आज के युवा को श्री राम और और श्री कृष्णा पढ़ाया जाए। जो कहते है ‘सिर तन से जुड़ा’ बोलने वाले लोगों को बदलना पड़ेगा। कौन है ये लोग, जो ये कहते हैं और करते हैं, उनका पता लगाना चाहिए।
 
हम संविधान का पालन करते हुए नियमों का पालन कर रहे है। मस्जिदों के नीचे मंदिरों को ढूंढने के लिए भी काम किया जा रहा है। देश का सुचारू रूप से संचालन करने के लिए राजा आधात्यमवादी होता है तो देश का संचालन अच्छे से होता है। ऐसा राजा गलत काम, करप्शन करने से पहले सोचता है। एक  आध्यात्मावदी राजा होता है तो देश की उन्नति होती है। भारत की एकता अखंडता के लिए काम होता रहे ये महत्वपूर्ण है। 
 
मुनि ने कहा कि हमारा भारत देश बहुलतावादी संस्कृति का देश है। सर्वधर्म सदभाव हमारा मूल मंत्र है जिससे देश का विकास हो सकता है। प्रानमंत्री विकास के लिए जोर देते है। समाज में शांतिपूर्ण वातावरण नहीं है तो इससे नुकसान हो सकता है। समाज में अशांतिपूर्ण माहौल से निवेश को नहीं ला सकता है। देश में समरसता का भाव पैदा होना चाहिए। ये लोकतंत्र की खूबी है कि हम अपने अस्तित्व की तरह दूसरों के अस्तितव को स्वीकारें। हम अपने धर्म का पालन करें और दुसरों के धर्म का सम्मान भी करें। शांति और सद्भावना के जरिए ही आगे बढ़ाया जा सकता है।
 
मुनि ने कहा कि भारत आध्यात्म, कृषि प्रधान देश माना जाता है। देश के नागरिक को ये देखना चाहिए कि हमारे आचरण से विदेश में हमारी छवि धूमिल तो नहीं हो रही है। 
 
अल्पसंख्यों को लेकर बातें क्यों होती है
सुहैब कासिम ने कहा कि दुनिया में जो हालात है उसमें दो किस्म के लोग हैं। एक वो ताकतें है जो दुनिया को तोड़ना चाहती है और दूसरी इसे बचाना चाहती है। देश में भी दो किस्म के लोग है। इनमें एक देश को तोड़े वाले और देश को जोड़ने वाले है। आरएसएस ने अयोध्या के मुद्दे को कोर्ट के आदेश के बाद जिस तरह से संभाला। बिना खून का एक कतरा गिरे अयोध्या में राम मंदिर बना और मस्जिद निर्माण का फैसला भी सुनाया गया। आज भी किसी ना किसी तबके का इस्तेमाल किया जाता है। आरएसएस के संचालक और पीएम मोदी के संबोधन के बाद देश को समझना चाहिए की उनका मकसद क्या है। कुछ असामाजिक तत्वों ने उनके विरोध में हंगामे किए और देश के लोगों का उपयोग भी किया। जनता को तय करना है कि किस दिशा में उन्हें जाना है। दुनिया स्तब्ध है कि भारत की किसी अन्य देश से लड़ाई क्यों नहीं होती है। इजराइल में भारत का स्वागत होता है और फिलिस्तीन में भी पीएम का सम्मान होता है। भारत की सरकार ने दुनिया में जो किया है वो आम नहीं है। देश सुरक्षित है तो हम भी सुरक्षित रहेंगे। हादसा अब बांग्लादेश में हो रहा है मगर देश के मुसलमानों को चिढ़ाया जाता है। ये काम करने में असामाजिक तत्व आगे रहते है। यही कारण रहा कि कई जगह पीएम मोदी ने भी कहा है कि हमें अपनी भूमिका तय करनी होगी कि हमें राष्ट्रीय एकता बनाए रखने के लिए अपनी भूमिका निभानी होगी। 
 
मुुनि ने कहा कि भारत का लोकतंत्र हमें इस बात की इजाजत देता है कि हम दूसरों के विचारों का सम्मान करें। हम आने समय में कुछ ऐसा करें कि जो ये धार्मिक रहनुमा सच्चाई और अच्छाई के साथ खड़ा रहे। देश को आगे बढ़ाना, समाज को आगे बढ़ाना, हमारा धर्म है। 

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