सुप्रीम कोर्ट प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के समर्थन में दायर हस्तक्षेप पर 17 फरवरी को करेगा सुनवाई। राजनीतिक दलों को आरटीआई लाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। अश्लील कमेंट मामले में देशभर में एफआईआर के बाद रणवीर इलाहाबादिया ने सुप्रीम कोर्ट से लगाई गुहार। कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार हत्या मामले में दोषी करार। इस सप्ताह यानी 10 फरवरी से 15 फरवरी 2025 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।
इसे भी पढ़ें: अवैध प्रवासियों को वापस भेजने के लिए बांग्लादेश का सत्यापन क्यों जरूरी? SC ने केंद्र, बंगाल से पूछा सवाल
प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991से संबंधित याचिकाओं पर 17 फरवरी से सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 से संबंधित याचिकाओं पर 17 फरवरी को सुनवाई करेगा। न्यायालय की वेबसाइट पर 17 फरवरी के लिए अपलोड की गई कार्यसूची के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। यह अधिनियम किसी भी उपासना स्थल के धार्मिक स्वरूप में परिवर्तन पर प्रतिबंध लगाता है। कानून में किसी स्थान के धार्मिक स्वरूप को 15 अगस्त 1947 के अनुसार बनाए रखने की बात कही गई है। बहरहाल, अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुद्दे से संबंधित विवाद को इसके दायरे से बाहर रखा गया था। न्यायालय उपासना स्थल कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने के अनुरोध वाली ‘ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन’ (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की याचिका पर विचार करने पर दो जनवरी को सहमत हो गया था। प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने पिछले साल 12 दिसंबर को अपने अगले आदेश तक देश की अदालतों को धार्मिक स्थलों, विशेषकर मस्जिदों और दरगाहों पर दावा करने संबंधी नए मुकदमों पर विचार करने और लंबित मामलों में कोई भी प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने से रोक दिया था।
राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाने की याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, निर्वाचन आयोग और छह राजनीतिक दलों से उन याचिकाओं पर लिखित में जवाब देने को कहा, जिनमें चुनावों के दौरान जवाबदेही सुनिश्चित करने और काले धन पर रोक लगाने के लिए उन्हें सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे में लाने का अनुरोध किया गया है। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ इस मुद्दे पर गैर सरकारी संगठन(एनजीओ) एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर दो अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हम इसे अंतिम सुनवाई के लिए किसी ‘नॉन-मिसलेनियस’ दिन लेंगे। इस बीच, दलीलें पूरी होनी चाहिए। नॉन-मिसलेनियस’ दिन से आशय ऐसे दिन से है जब न्यायालय केवल सूचीबद्ध मामलों की सुनवाई करता है, आपातकालीन याचिकाओं की नहीं। इनमें बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार शामिल हैं। एडीआर का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि उनकी याचिका पिछले 10 वर्षों से लंबित है। पीठ ने वादियों से कहा कि वे अंतिम सुनवाई से पहले अधिकतम तीन पृष्ठों में लिखित दलीलें दाखिल करें और सुनवाई 21 अप्रैल के सप्ताह के लिए निर्धारित कर दी।
यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर रणवीर इलाहाबादिया की यूट्यूब पर एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर की गई अभद्र टिप्पणी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों के संबंध में दायर इलाहाबादिया की याचिका पर दो-तीन दिन में सुनवाई की जाएगी। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने इन्फ्लुएंसर की ओर से पेशअधिवक्ताअभिनव चंद्रचूड़ से कहा कि वह याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए मामलों का मौखिक उल्लेख करने की अनुमति नहीं देता है। जब चंद्रचूड़ ने कहा कि असम पुलिस ने इलाहाबादिया को जांच में शामिल होने के लिए आज बुलाया है तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मैंने पीठ को मामला सौंप दिया है और यह मामला दो-तीन दिन में (पीठ के समक्ष) आएगा।’’ माता-पिता और यौन संबंधों को लेकर रणवीर इलाहाबादिया की आपत्तिजनक टिप्पणियों की बड़े पैमाने पर आलोचना हो रही है। इस सिलसिले में देश भर में कई स्थानों पर इलाहाबादिया एवं अन्य के खिलाफ पुलिस में कई शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। इलाहाबादिया ने यह विवादित टिप्पणी समय रैना के शो ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ में की थी।
ईडी की याचिका पर अमानतुल्लाह खान से जवाब मांगा
दिल्ली हाई कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की उस याचिका पर आम आदमी पार्टी (आप) नेता अमानतुल्ला खान से बृहस्पतिवार को जवाब मांगा जिसमें दिल्ली वक्फ बोर्ड में कथित अनियमितताओं से संबंधित धन शोधन मामले में उनके खिलाफ दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से अधीनस्थ अदालत के इनकार और रिहाई के आदेश को चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति विकास महाजन ने ओखला से ‘आप’ के विधायक को नोटिस जारी कर मामले को 21 मार्च को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। न्यायाधीश ने अधीनस्थ अदालत से भी उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई की तारीख के बाद तक कार्यवाही स्थगित करने को कहा। ईडी के वकील ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि निचली अदालत ने खान और उनकी पत्नी के खिलाफ अभियोजन पक्ष की शिकायत (आरोपपत्र) पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है, जबकि अन्य आरोपियों के खिलाफ शुक्रवार को मामले की सुनवाई होनी है। अधीनस्थ अदालत ने पिछले साल धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत धन शोधन के कथित अपराध के लिए खान के खिलाफ संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था और उन पर मुकदमा चलाने के लिए अपेक्षित मंजूरी के अभाव का हवाला दिया गया था।
इसे भी पढ़ें: India’s got Latent row: विवाद के बीच Ranveer Allahbadia ने कई एफआईआर के खिलाफ Supreme Court का दरवाजा खटखटाया
सिख विरोधी दंगे में सज्जन कुमार दोषी करार
दिल्ली की एक अदालत ने कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को सिख विरोधी दंगों के दौरान सरस्वती विहार इलाके में दो लोगों की हत्या के मामले में बुधवार को दोषी करार दिया और कहा कि कुमार उस भीड़ का हिस्सा थे जिसने हत्याकांड को अंजाम दिया था। हत्या का दोषी करार दिए जाने के बाद कुमार को अब अधिकतम मृत्युदंड या कम से कम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने कुमार को दोषी करार दिया और सजा पर बहस की तारीख 18 फरवरी तय की। न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी को दोषी ठहराया जाता है। अगली सुनवाई के दौरान सजा पर फैसला दिया जाएगा।’’ विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने कहा, यह भी साबित हो गया है कि हमलावर भीड़ का हिस्सा होने के नाते कुमार घटना के दौरान शिकायतकर्ता के पति जसवंत सिंह और बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या करने का दोषी है। दोषसिद्धि के फैसले में कहा गया, ‘‘शिकायतकर्ता, जिसने अपने पति और बेटे की क्रूर हत्या देखी है, उससे निश्चित रूप से उस व्यक्ति का चेहरा भूलने की उम्मीद नहीं की जा सकती है जो उक्त हत्याओं और लूटपाट को अंजाम देने के लिए भीड़ को उकसा रहा था और अदालत में शिकायतकर्ता का बयान उसके इस रुख की पुष्टि करता है।