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बहुसंख्यकवादी छवि के नैरेटिव को पछाड़, दायरे बढ़ाने के लिए संघ ने खोले सबके लिए द्वार

मई का महीना दिल्ली की एक जनसभा जब मोदी सरकार में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को लेकर विरोधियों के नजरिए पर तंज कसते हुए कहा था कि संघ परिवार को अक्सर बहुसंख्यकवाद के चश्मे से देखा जाता रहा, लेकिन ये न केवल झूठ है। बल्कि इसके द्वारा किए गए सामाजिक कार्यों को भी तबज्यो नहीं दी गई। यादव ने कहा कि  हम समाज को एक साथ लाने के लिए काम करते हैं। भगवान बुद्ध के विचार और संघ के विचार एक जैसे हैं। आरएसएस जनसंचार माध्यमों के साथ जुड़ाव के साथ ही पिछले कुछ वर्षों में अपने सामाजिक कार्यों का दस्तावेजीकरण करने के लिए एक संरचित कार्यक्रम के माध्यम से इस झूठे गढ़े गए मानसिकता को काउंटर करने की कोशिश की है। 

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संघ अब सक्रिय रूप से अपने दैनिक कार्यों और यहां तक ​​कि आंतरिक कामकाज के बारे में जानकारी साझा करता है, इसके शीर्ष नेता पत्रकारों के साथ बातचीत करने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर रहे हैं। जनवरी में आरएसएस से जुड़ी पत्रिकाओं पांचजन्य और ऑर्गनाइज़र को दिए एक साक्षात्कार में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ अब मीडिया से परहेज नहीं करेगा क्योंकि यह एक मुख्यधारा की ताकत है। भले ही हम कई मुद्दों पर मीडिया के पास नहीं जाना चाहते, लेकिन हम ऐसा करने से बच नहीं सकते। यह प्रतिकूल हो सकता है. उन्हें आश्चर्य हो सकता है कि हम छाया में क्यों छुपे हुए हैं। हमें मीडिया का सामना करना होगा। 

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बहुसंख्यकवादी छवि के नैरेटिव को काउंटर करने के लिए संघ पूरे मनोयोग से दायरा बढ़ाने में जुटा है। जिसकी प्राप्ति के लिए संघ ने सभी के लिए अपने द्वार खोल दिए हैं। मुस्लिमों से भी परहेज नहीं है। इसी रणनीति के तहत संघ ने राम मंदिर के जनवरी में प्रस्तावित प्राण प्रतिषठा समारोह को ऐतिहासिक बनाने की योजना को तैयार किया है। इस आयोजन को हर गांव घर तक पहुंचा कर अपने संकल्प के सिद्ध होने का संदेश दिया जाएगा। । समन्वय बैठक में उठे धर्मांतरण, लव जेहाद सहित कई अन्य मुद्दों को लेकर भी संघ प्रमुख लाइन तय कर गए। अब धर्म जागरण को हथियार बनाकर पिछड़ी-दलित बस्तियों और कमजोर वर्ग के लोगों के बीच पैठ बढ़ाई जाएगी। 

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