Breaking News

West Bengal । यह प्रतिशोध की राजनीति…. TMC के मंत्री, विधायक के आवासों पर CBI की छापेमारी पर Saugata Roy का बड़ा बयान

कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस ने रविवार को कहा कि राज्य के वरिष्ठ मंत्री फिरहाद हकीम और विधायक मदन मित्रा के आवासों पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के छापे केन्द्रीय निधि की मांग को लेकर राजभवन के बाहर जारी पार्टी के प्रदर्शन से ध्यान हटाने का प्रयास है। सीबीआई ने पश्चिम बंगाल में नगर निकायों में भर्तियों में कथित अनियमितताओं से जुड़ी जांच के सिलसिले में वरिष्ठ मंत्री हकीम और मित्रा के आवासों पर छापे मारे।
 

इसे भी पढ़ें: Shaurya Path: India-Maldives, India-Canada, Russia-Ukraine, Indian Army, Air Force Day 2023 संबंधी मुद्दों पर Brigadier Tripathi से बातचीत

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने कहा, ‘‘यह अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में राजभवन के बाहर जारी विरोध प्रदर्शन से जनता का ध्यान हटाने का एक प्रयास है। लगता है कि भाजपा बढ़ते हुए सार्वजनिक असंतोष को भांप रही है, और वे विमर्श को बदलने के लिए हरसंभव तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह प्रतिशोध की राजनीति का एक स्पष्ट उदाहरण है।’’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘अगर तृणमूल के पास कुछ भी छिपाने जैसा नहीं है, तो वह ईडी और सीबीआई से क्यों भयभीत है।’’ भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘जब भी तृणमूल के नेताओं को ईडी और सीबीआई तलब करती है वे रोना रोते हैं और एजेंसियों के राजनीति से प्रेरित होने का आरोप लगाते रहते हैं। फिर भी वास्तविकता यही है कि तृणमूल भ्रष्टाचार में लिप्त है और पार्टी का लगभग हर नेता किसी न किसी आरोप का सामना कर रहा है।’’
 

इसे भी पढ़ें: Firhad Hakim और Madan Mitra के आवास पर CBI की छापेमारी, समर्थकों ने किया विरोध-प्रदर्शन

शहरी विकास और नगर निकाय मामलों के मंत्री हकीम कोलकाता के महापौर भी हैं। वह तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी संगठन में अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं। वहीं, मित्रा उत्तर 24 परगना जिले के कमरहाटी से विधायक हैं। हकीम और मित्रा दोनों को नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में 2021 में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। मित्रा को 2014 में सारदा चिटफंड घोटाले में भी सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। इससे पहले, बृहस्पतिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मामले की जांच के सिलसिले में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रथिन घोष के आवास सहित कई स्थानों की तलाशी ली थी। केंद्रीय जांच एजेंसियों का आरोप है कि 2014 से 2018 के बीच राज्य के विभिन्न नगर निकायों द्वारा पैसे के बदले लगभग 1,500 लोगों को अवैध रूप से भर्ती किया गया था।

Loading

Back
Messenger