सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय संजय कुमार मिश्रा को 15 सितंबर तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक पद पर बने रहने की अनुमति दे दी। सरकार ने यह कहते हुए उनका कार्यकाल 15 अक्टूबर तक बढ़ाने की मांग की थी कि मिश्रा की अनुपस्थिति देशहित में होगी। वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की चल रही समीक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। शीर्ष अदालत ने 11 जुलाई को कहा था कि ईडी प्रमुख के रूप में मिश्रा के कार्यकाल का तीसरा विस्तार अवैध था और 2021 में उसके फैसले का उल्लंघन था। हालांकि, सुचारू स्थानांतरण की अनुमति देने के लिए उन्हें 31 जुलाई तक पद पर बने रहने की अनुमति दी थी।
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केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंट अर्जी दाखिल कर ईडी प्रमुख का कार्यकाल बढ़ाने की मांग की है। इसमें कहा गया है कि एफएटीएफ समीक्षा एक महत्वपूर्ण चरण में है और प्रभावशीलता पर प्रस्तुतियाँ 21 जुलाई, 2023 को दी गई हैं और नवंबर 2023 में एक ऑन-साइट दौरा आयोजित किया जाना है। शीर्ष अदालत ने मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाते हुए कहा कि केंद्र के आवेदन पर केवल इसलिए विचार किया गया क्योंकि यह देश के हित में था।
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क्या है पूरा मामला
बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता और मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस कमेटी की महासचिव जया ठाकुर द्वारा दायर एक याचिका में प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक के रूप में संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार के लिए केंद्र द्वारा पारित नवंबर 2021 के आदेश को रद्द करने की मांग की गई है। याचिका वरिंदर कुमार शर्मा और वरुण ठाकुर के माध्यम से दायर की गई थी। मामले में याचिकाकर्ता एडवोकेट एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कहा था कि सरकार संविधान के प्रावधान को बदलने के लिए अध्यादेश जारी नहीं कर सकती है और न ही लोकसभा और न ही राज्यसभा ने इसे पारित किया है।