Breaking News

Yes Milord! Adani-Hindenburg केस में SC ने एक्सपर्ट कमेटी बनाई, अब कैसे होगा निर्वाचन आयुक्त का चुनाव, जानें इस हफ्ते कोर्ट में क्या कुछ हुआ

सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड अप में इस सप्ताह कानूनी खबरों के लिहाज से काफी गहमा-गहमी वाला है। जहां एक तरफ हिंडनबर्ग अडानी विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने छह लोगों की एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है। वहीं  निर्वाचन आयुक्त के चयन को लेकर भी एक बड़े फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस की कमेटी को इसमें शामिल किया गया। कर्नाटक हिजाब केस में कोरट ने तीन न्यायाधीशों की पीठ का गठन करने का ऐलान किया है। वहीं अग्निपथ योजना को हाईकोर्ट ने इसे राष्ट्रहित में बताया है। ऐसे में आज आपको सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक इस सप्ताह यानी 27 फरवरी से 03 मार्च 2023 तक क्या कुछ हुआ। कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।

इसे भी पढ़ें: Manish Sisodia ने निचली अदालत का खटखटाया दरवाजा, राउज एवेन्यू कोर्ट में दाखिल की जमानत अर्जी

विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस की कमेटी करेगी निर्वाचन आयुक्त का चुनाव
सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को सर्वसम्मति से फैसला सुनाया कि प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की एक उच्चस्तरीय समिति को मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को चुनना चाहिए। न्यायमूर्ति केएम जोसफ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के मामले में अपनाई जाने वाली चयन प्रक्रिया के समान याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई कर रहे थे। न्यायमूर्ति केएम जोसेफ ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि इस प्रथा को तब तक लागू किया जाएगा जब तक कि संसद द्वारा इस संबंध में एक कानून नहीं बनाया जाता है। 
कर्नाटक हिजाब केस में तत्काल सुनवाई से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह कर्नाटक के सरकारी स्कूलों में हिजाब पहनकर परीक्षा देने की अनुमति मांग रही मुस्लिम छात्राओं की याचिका पर सुनवाई के लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ का गठन करेगा। जब एक महिला वकील ने याचिकाओं की त्वरित सुनवाई के लिए मामले का उल्लेख किया तो प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने कहा कि एक पीठ गठित की जाएगी। प्रारंभ में, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि मामले को होली की छुट्टियों के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा। प्रारंभ में, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि मामले को होली की छुट्टियों के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा। वकील ने कहा कि परीक्षा पांच दिनों के बाद आयोजित होने वाली है। इसके बाद शीर्ष अदालत ने तारीख तय किये बिना कहा कि वह पीठ गठित करेगी। 

इसे भी पढ़ें: ‘आवाज नीचे करें या मेरी कोर्ट से निकल जाएं’, SC बार एसोसिएशन अध्यक्ष पर क्यों भड़के CJI

अडानी हिंडनबर्ग केस में सुप्रीम कोर्ट ने बनाई एक्सपर्ट कमेटी
यूएस शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में तेज गिरावट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शेयर बाजार के नियामक तंत्र के मौजूदा ढांचे की समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने विशेषज्ञ समिति के हिस्से के रूप में छह सदस्यों को नियुक्त किया है। इसमें ओपी भट्ट, जस्टिस जेपी देवधर, केवी कामथ, नंदन नीलेकणी और सोमशेखर सुंदरसन शामिल हैं और इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एएम सप्रे करेंगे। 
सुप्रीम सुनवाई में भी सिसोदिया को राहत नहीं मिली 
मनीष सिसोदिया की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस नरसिम्हा की बेंच ने सुनवाई की। मनीष सिसोदिया की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा। सिसोदिया की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई ने कहा कि जमानत अर्जी का विकल्प आपके पास है। आप हाई कोर्ट जा सकते हैं। सीजेआई ने पूछा कि क्या जमानत के लिए अनुच्छेद 32 का इस्तेमाल किया जा रहा है? सीजेआई ने कहा कि आप सीधे सुप्रीम कोर्ट से जमानत और दूसरी राहत मांग रहे हैं। आपने अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ केस का हवाला दिया। पर वो इससे बिल्कुल अलग थे। आपको निचली अदालत से बेल लेनी चाहिए। एफआईआर रद्द करवाने के लिए हाई कोर्ट जाना चाहिए। जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि मामला दिल्ली का है, इसका मतलब ये नहीं है कि आप सीधे सुप्रीम कोर्ट आ जाएं। 
लिव-इन रिलेशनशिप का हो रजिस्ट्रेशन, SC में अर्जी
लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों के रजिस्ट्रेशन के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि लिव इन पार्टनर की ओर से अपराध को अंजाम दिया जा रहा है। इसके लिए श्रद्धा मर्डर केस का भी हवाला दिया गया। याचिकाकर्ता की और से कहा गया है कि केंद्र को कहा जाए कि ह इसके लिए नियम और गाइडलाइन बनाए। साथ है कहा गया कि बलात्कार के झूठे मामले में भर्ती कुट है, जिससे महिलाएं आरोपी के साथ में रहने का दावा करती है और ऐसे में दलि सही चेंज का पता लगाना मुश्किल होता है।
राष्ट्रहित में है अग्निपथ योजना
दिल्ली हाई कोर्ट ने सशस्त्र बलों में भर्ती की अग्निपथ योजना को राष्ट्रीय हित में बताया है। कोर्ट ने इसे सशस्त्र बलों को बेहतर बनाने की योजना बताते हुए इसे चुनौती वाली याचिकाएं खारिज कर दीं। कोर्ट ने कहा, दखल की वजह नजर नहीं आती। अदालत ने सशस्त्र बलों में भर्ती संबंधी विज्ञापनों के खिलाफ दायर अर्जी भी खारिज कर दी। साफ किया कि ऐसे उम्मीदवारों को भर्ती का अधिकार नहीं है।

Loading

Back
Messenger