सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर विशेषज्ञ पैनल का गठन कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही सेबी को 2 महीने में जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट हाल हिंडनबर्ग रिसर्च के धोखाधड़ी के आरोपों से शुरू हुए अडानी समूह के शेयर क्रैश पर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये फैसला दिया है। शीर्ष अदालत ने शेयर बाजार के नियामक तंत्र के मौजूदा ढांचे की समीक्षा के लिए एक विशेषज्ञ समिति का भी गठन किया। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने निम्नलिखित व्यक्तियों को समिति के सदस्य के रूप में ओपी भट्ट, न्यायमूर्ति केपी देवदत्त, केवी कामत, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरसन नियुक्त किया।
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पिछली सुनवाई में, अदालत ने सीलबंद लिफाफे में केंद्र की दलीलों को यह कहते हुए स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि वह मामले में “पूर्ण पारदर्शिता” बनाए रखना चाहती है। सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेषज्ञ समिति के सुझावों को मानने से भी इनकार कर दिया। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कमेटी के नाम और शासनादेश पर सरकार के ”सुझाव” मानने से इंकार कर मामले में पारदर्शिता की दिशा में निर्णायक कदम उठाया था।