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न्यायालय ने बाल विवाह निषेध कानून से जुड़े मुद्दों पर केंद्र को हलफनामा दाखिल करने का वक्त दिया

उच्चतम न्यायालय ने बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 और इसके प्रावधानों को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों से संबंधित मुद्दों पर जानकारी तथा एक हलफनामा दाखिल करने के लिए केंद्र को छह सप्ताह का वक्त दिया है।
न्यायालय ने इस साल अप्रैल में केंद्र से बाल विवाह की प्रकृति और इसकी सीमा पर विभिन्न राज्यों से एकत्र किए गए आंकड़ों, 2006 के इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए उठाए कदमों और इस उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा लागू नीतियों को विशेष रूप से स्पष्ट करने वाली अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
इसने कहा था कि केंद्र राज्यों से बातचीत कर इस अधिनियम की धारा 16 के तहत बाल विवाह निषेध अधिकारियों की नियुक्ति के अनुपालन पर शीर्ष अदालत को जानकारी दे।

शीर्ष न्यायालय ने 13 अप्रैल के अपने आदेश में कहा था कि हलफनामे में यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि जिन अधिकारियों को नियुक्त किया गया है, क्या उन्हें अन्य ‘‘विविध जिम्मेदारियां’’ भी दी गयी हैं।
इस मामले पर प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई की।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी के अनुरोध पर सूचना एकत्र करने और इस अदालत के समक्ष एक हलफनामा दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को छह सप्ताह का वक्त दिया जाता है।

याचिका को एक सितंबर 2023 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें।’’
उच्चतम न्यायालय एक गैर लाभकारी संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें 2006 के अधिनियम के क्रियान्वयन से संबंधित मुद्दा उठाया गया है। याचिका में दावा किया गया है कि इस कानून का पूरी तरह से पालन नहीं किया जा रहा है।

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