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उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सीतलवाड़ की याचिका पर उच्चतम न्यायालय में बुधवार को सुनवाई

गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय बुधवार को सुनवाई करने वाला है।
उच्च न्यायालय ने नियमित जमानत के लिए उनकी अर्जी खारिज कर दी थी और 2002 में हुए गोधरा कांड के बाद के (गुजरात) दंगों के मामलों में बेकसूर लोगों को फंसाने के लिए कथित तौर पर साक्ष्य गढ़ने के एक मामले में उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था।
शीर्ष न्यायालय ने एक जुलाई को देर रात हुई एक विशेष सुनवाई में सीतलवाड़ को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया और उच्च न्यायालय के आदेश पर एक हफ्ते के लिए रोक लगा दी।
शीर्ष न्यायालय की वेबसाइट पर बुधवार के लिए पोस्ट किये गये मामलों की सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ विषय को सुनेगी।

पिछले हफ्ते शनिवार देर रात हुई सुनवाई में, पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए सीतलवाड़ को समय नहीं देने पर सवाल उठाया था और कहा कि एक सामान्य अपराधी भी कुछ अंतरिम राहत का हकदार होता है।
न्यायालय ने कहा, ‘‘सामान्य परिस्थितियों में हम ऐसे अनुरोध पर विचार नहीं करते। हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि 25 जून 2022 को प्राथमिकी दर्ज होने और याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किए जाने के बाद, इस अदालत ने अंतरिम जमानत देने की अर्जी पर विचार किया और दो सितंबर 2022 को कुछ शर्तों पर जमानत दे दी।’’
पीठ ने कहा, ‘‘इस अदालत के सामने जो कारक थे, वे यह थे कि याचिकाकर्ता एक महिला है और वह दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा-437 के तहत विशेष सुरक्षा की हकदार हैं।’’


पीठ ने 37 मिनट चली सुनवाई के बाद कहा था, ‘‘इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए हमने पाया कि एकल न्यायाधीश को कुछ राहत देनी चाहिए थी, ताकि याचिकाकर्ता को एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। इसके मद्देनजर मामले के गुण-दोष पर गौर किए बिना, यह देखते हुए कि न्यायाधीश कोई भी राहत नहीं देने के मामले में सही नहीं थे, हम एक सप्ताह की अवधि के लिए इस आदेश पर रोक लगाते हैं।

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