नयी दिल्ली। वैज्ञानिकों ने असरदार एंटीवायरल दवाएं खोज निकाली हैं जिनमें भविष्य में कोविड-19 संक्रमण के प्रकोप को रोकने की क्षमता है। ‘नेचर पत्रिका’ में प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है। रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने बताया कि कोविड-19 का कारण बनने वाला वायरस एस-सीओवी-2 कोशिकाओं में एक ऐसे मार्ग को सक्रिय कर देता है, जो पेरोक्सीसोम्स व इंटरफेरॉन के उत्पादन को रोक देता है और ये दोनों ही तत्व सामान्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के दो महत्वपूर्ण घटक हैं।
कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा के शोधकर्ताओं की टीम ने इस नयी एंटीवायरल दवा का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है, जो इंटरफेरॉन के उत्पादन को बढ़ाकर कोविड-19 के प्रभाव को कम करने का काम करती है। शोधकर्ताओं ने बताया कि इंटरफेरॉन संक्रमित कोशिकाओं को और अधिक वायरस उत्पन्न करने से रोकने और इन संक्रमित कोशिकाओं को मारने का का काम करता है। इसके बाद यह तत्व संक्रमित कोशिकाओं के आस-पास मौजूद कोशिकाओं को संक्रमित होने से रोकता है।
शोधकर्ताओं की टीम ने 40 मौजूदा दवाओं की जांच की जो संकेत देने वाले मार्ग को निशाना बनाती हैं। इनमें से ज्यादातर दवाएं मूल रूप से कैंसर के उपचार के लिए विकसित की गयी थीं, जो अक्सर इंटरफेरॉन के उत्पादन को बढ़ा देती हैं। इनमें से तीन दवाएं फेफड़ों में पाये जाने वाले वायरस की मात्रा को महत्वपूर्ण रूप से कम करने में प्रभावी है और एक दवा चूहे में सूजन व अन्य लक्षणों को कम करने में प्रभावी साबित हुई है।
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यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा के प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य लेखक टॉम होबमैन ने कहा, हमने कुछ मामलों में एक टेस्ट ट्यूब में वायरस उत्पन्न होने की मात्रा में 10 हजार गुना तक कमी को देखा और जब चूहों पर इसका परीक्षण किया गया तो पाया कि ये दवाएं बहुत वजन में तेज गिरावट को रोकने का काम करती हैं और चूहे बहुत तेजी से ठीक होते हैं। होबमैन ने कहा कि वायरस से संक्रमण के प्रकोप के दौरान वे लोग, जो इसके संपर्क में आते हैं या फिर जिन्हें लक्षण दिखाई देने लगे हैं, उन्हें अपना पेरोक्सीसोम स्तर गिरने से पहले चार से पांच दिन दवा का कोर्स करना चाहिए और संक्रमण को गंभीर होने और बीमारी को फैलने से रोकने चाहिए।