पटना । जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेता राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को रविवार को नरेन्द्र मोदी सरकार में मंत्री बनाया गया। वह कई वर्षों से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक हैं। भूमिहार समुदाय से ताल्लुक रखने वाले ललन हमेशा से पार्टी प्रमुख कुमार की ताकत रहे हैं, क्योंकि बिहार में भूमिहार जाति संख्या के हिसाब से अपने छोटे आकार के बावजूद व्यापक राजनीतिक प्रभाव के लिए जानी जाती है। ललन ने 2022 में जदयू-राजद गठबंधन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, हालांकि मुंगेर, जमालपुर और लखीसराय के कुछ क्षेत्रों में यादव और मुसलमान पारंपरिक रूप से राजद का समर्थन करते आए हैं, लेकिन भूमिहार और अन्य उच्च जाति समूह पिछले कई वर्षों से सिंह का समर्थन कर रहे हैं। कुछ महीने पहले सिंह और नीतीश कुमार के बीच कथित मतभेद के दावे और प्रतिदावे सुर्खियों में रहे, क्योंकि उसके बाद कुछ महीनों के दौरान राजनीतिक समीकरण बदल गए थे। सिंह मुंगेर लोकसभा सीट से तीसरी बार जीते हैं। उन्होंने 2004 से 2009 के बीच एक बार बेगूसराय संसदीय सीट का भी प्रतिनिधित्व किया था।
वह 2009, 2019 और 2024 के चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन जब वह 2014 में हार गए थे, तो नीतीश कुमार ने उन्हें राज्यसभा सदस्य बनवाया और फिर पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी नियुक्त किया। इससे पहले, सिंह को राज्यपाल कोटे के तहत बिहार विधान परिषद में मनोनीत किया गया था और जून 2014 में तत्कालीन जीतन राम मांझी मंत्रिमंडल में उन्हें सड़क निर्माण मंत्री बनाया गया था। चुनावी हार के बावजूद उन्हें मंत्री बनाए जाने और पदोन्नति देने से ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू के नेतृत्व में विद्रोह भड़क गया, जो बाद में 12 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे।