Breaking News

एसजी ने नवलखा प्रकरण में कहा कि नक्सलवाद से सामान्य तरीके से नहीं निपटा जा सकता है

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि देश नक्सलवाद से सामान्य तरीके से नहीं निपट सकता।
मेहता ने न्यायमूर्ति के. एम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की पीठ के समक्ष यह दलील दी। पीठ ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नजरबंद करने की अनुमति देने वाले 10 नवंबर के आदेश को रद्द करने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने जांच एजेंसी को चेतावनी दी कि अगर वह अदालत के आदेश की अवहेलना के लिए कोई खामी निकालने की कोशिश कर रही है, तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा।

जांच एजेंसी की ओर से पेश मेहता ने दलील दी कि संविधान का अनुच्छेद 14 कहता है कि कानून के समक्ष सभी समान हैं, लेकिन एक मामला यह भी है, जो कहता है कि कुछ दूसरों की तुलना में ज्यादा समान हैं।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘‘ऐसे अन्य कैदी भी हैं, जो इस आदमी से बुजुर्ग हैं और समान बीमारियों से पीड़ित हैं, लेकिन यहां एक व्यक्ति गैर-कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत आरोपी है, जो घर में नजरबंद होना चाहता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा यह उद्देश्य नहीं है कि मैं अदालत को नाराज करुं। मैं अपनी धारणा के लिए क्षमाप्रार्थी नहीं हूं, लेकिन मैं अदालत से क्षमाप्रार्थी हूं। मेरी धारणा यह है कि नक्सलवाद से राष्ट्र सामान्य तरीके से नहीं निपट सकता है।’’
पीठ ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल को अपनी राय रखने का पूरा अधिकार है, लेकिन न्यायाधीश शांत हैं क्योंकि उन्हें ऐसी स्थितियों में इन्हीं बातों के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
मेहता ने आरोप लगाया, ‘‘इस व्यक्ति के जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों और आईएसआई के साथ संबंध थे।’’

पीठ ने पूछा कि क्या मेहता के कहने का मतलब यह है कि राज्य और पुलिस बल की पूरी ताकत के बावजूद 70वर्षीय बीमार व्यक्ति को घर में नजरबंद रखना या निगरानी करना संभव नहीं होगा।
मेहता ने कहा कि नवलखा ने कई महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपाया है और जिस स्थान पर उन्हें नजरबंद रखा जाना है वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नाम से पंजीकृत एक सार्वजनिक पुस्तकालय है।
न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, ‘‘राजनीतिक दल वाला यह कैसा तर्क है? मुझे समझ नहीं आ रहा है।

Loading

Back
Messenger