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शाह ने विधानसभा चुनाव शीघ्र कराने पर ओडिशा सरकार को राष्ट्रपति शासन की चेतावनी दी: जयनारायण मिश्रा

ओडिशा विधानसभा में विपक्ष के नेता एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता जयनारायण मिश्रा ने मंगलवार को दावा किया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य विधानसभा को समय से पूर्व भंग किए जाने की स्थिति में राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की चेतावनी दी है।
मिश्रा ने यहां भाजपा कार्यालय में संवाददाताओं से कहा कि शाह ने ओडिशा के अपने दो दिवसीय दौरे में पांच अगस्त को मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के सचिव (5टी) वी के पांडियन के साथ आमने-सामने की बैठक में यह चेतावनी दी थी।
‘5टी’ का तात्पर्य अंग्रेजी के पांच शब्दों- ‘टीम वर्क’(मिलकर काम करना), ‘टेक्नोलॉजी’ (प्रौद्योगिकी), ‘ट्रांसपेरेंसी’ (पारदर्शिता), ‘ट्रांसफोर्मेशन’ (बदलाव) और ‘टाइम लिमिट’ (समय सीमा) से है।

भाजपा नेता ने कहा, ‘‘हमें इस बारे में जानकारी नहीं है कि उनके (शाह और पांडियन) के बीच क्या बातचीत हुई, लेकिन हमें बताया गया है कि बैठक के दौरान शाह ने 5टी सचिव की खिंचाई की, क्योंकि ओडिशा सरकार समय से पहले विधानसभा चुनाव कराने की योजना बना रही थी। शाह ने उन्हें चेतावनी दी कि यदि सत्तारूढ़ बीजद (बीजू जनता दल) राज्य विधानसभा को भंग करेगी, तो केंद्र को राष्ट्रपति शासन लागू करने पर मजबूर होना पड़ेगा।’’
ओडिशा में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ होने हैं।
पांडियन एक आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी हैं। भाजपा अक्सर उन्हें पटनायक का एजेंट कहकर निशाना बनाती रही है और इसकी सांसद अपराजिता सारंगी ने हाल में कार्मिक विभाग को पत्र लिखकर कहा था कि पांडियन निर्धारित संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं।

सारंगी भी राजनीति में कदम रखने से पहले आईएएस अधिकारी रह चुकी हैं।
मिश्रा ने दावा किया कि शाह राज्य में पांडियन द्वारा निभाई गई ‘‘भूमिका’’ के बारे में अच्छी तरह से परिचित हैं।
भाजपा अक्सर आरोप लगाती रही है कि मुख्यमंत्री के करीबी होने के कारण पांडियन बीजद के साथ-साथ सरकार को भी नियंत्रित करते हैं।
मिश्रा के दावे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बीजद प्रवक्ता लेनिन मोहंती ने कहा कि भाजपा नेता इस बात से अनभिज्ञ हैं कि उस दिन क्या हुआ था।
उन्होंने कहा, ‘‘जब केंद्रीय गृह मंत्री ओडिशा के दौरे पर थे, उस समय मिश्रा कोलकाता के एक अस्पताल में इलाज करा रहे थे, इसलिए उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि उस दिन क्या हुआ।’’
यह पहली बार है जब शाह और पांडियन के बीच कथित रूप से ‘‘बंद दरवाजे’’ की बैठक के बारे में बात की गई है।

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