देश में समान नागरिक संहिता को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता को लेकर मध्यप्रदेश में बड़ी बात कही थी। इसके बाद से विपक्ष से केंद्र की मोदी सरकार पर जबरदस्त तरीके से हमलावर है। विपक्ष का दावा है कि असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा की ओर से चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह दांव खेला गया है। इन सबके बीच एनसीपी प्रमुख शरद पवार का भी बयान सामने आया है। उन्होंने साफ-साफ कहा है कि इसमें मौजूदा सरकार के खिलाफ लोगों में नाराजगी है। इसी को देखते हुए यूसीसी को मुद्दा बनाया गया। इसके अलावा पवार ने कई सवाल भी खड़े किए हैं।
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शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार ने यह मुद्दा (समान नागरिक संहिता) विधि आयोग को दे दिया है और आयोग ने विभिन्न संगठनों से प्रस्ताव मांगे हैं. अब तक, आयोग को 900 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि उन प्रस्तावों में क्या उल्लेख है, उन्होंने इसे सार्वजनिक नहीं किया। विधि आयोग को जिम्मेदार संस्थाओं की तरह उन्हें दिए गए प्रस्ताव/सुझाव का अध्ययन कर उस पर काम करना चाहिए। पवार ने यह भी कहा कि यूसीसी में दूसरी बात ये है कि सिख, जैन और ईसाई समुदाय का रुख साफ किया जाए। मुझे एक बात की चिंता है, मैंने सुना है कि सिख समुदाय का रुख अलग है। उन्होंने कहा कि मैं और जानकारी एकत्र कर रहा हूं लेकिन मैंने सुना है कि सिख समुदाय यूसीसी के पक्ष में नहीं है। इस समुदाय के रुख को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि मुझे केवल एक ही संदेह है। देश की मौजूदा तस्वीर और लोगों में मौजूदा सरकार को लेकर नाराजगी देखने के बाद मुझे लगता है कि ये लोगों का ध्यान इससे भटकाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि लोगों की नाराजगी और बेचैनी पीएम तक पहुंच गई है। गौरतलब है कि विधि आयोग ने 14 जून को यूसीसी पर नए सिरे से विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की थी और राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से 13 जुलाई तक अपने विचार स्पष्ट करने को कहा है।
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नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की पुरजोर वकालत करते हुए सवाल किया कि ‘‘दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा?’’ उन्होंने साथ ही कहा कि संविधान में भी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार का उल्लेख है। उन्होंने कहा, ‘‘हम देख रहे हैं समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे के लिए दूसरा, तो क्या वह परिवार चल पाएगा। फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? हमें याद रखना है कि भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है।’’ उन्होंने कहा, ये लोग (विपक्ष) हम पर आरोप लगाते हैं लेकिन हकीकत यह है कि वे मुसलमान, मुसलमान करते हैं। अगर वे वास्तव में मुसलमानों के हित में (काम) कर रहे होते, तो मुस्लिम परिवार शिक्षा और नौकरियों में पीछे नहीं होते।”