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Bhopal से निकलकर Delhi पहुँचे Shivraj Singh, मप्र में संगठन को मजबूत करने में निभाई अहम भूमिका

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में कृषि मंत्री बनाये गए हैं। लोकसभा चुनाव में विदिशा से रिकॉर्ड मतों से जीतकर छठी बार संसद पहुँचे हैं। कुछ समय पहले ही शिवराज के नाम पर चुनाव लड़कर मध्य प्रदेश में बीजेपी ने अप्रत्याशित जीत हासिल की थी। जिसके बाद पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री के पद से मुक्त कर दिल्ली पहुँचने का संकेत दे दिया था।
शिवराज सिंह चौहान का जन्म 5 मार्च 1959 को मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के जैत गांव में हुआ था। शिवराज को लेकर कहा जाता है कि वह बचपन से ही बड़े अच्छे वक्ता हैं। शिवराज सिंह सभाओं में भाषण देकर लोगों को अपना मुरीद बना लेते थे। उन्होंने मात्र 13 साल की उम्र में 1972 में ही आरएसएस का दामन थाम लिया था। जिसके बाद वे बीजेपी और आरएसएस की छात्रा शाखाओं से जुड़े रहे। शिवराज ने अपनी पढ़ाई बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में की। पढ़ाई के दौरान मेधावी के चलते उन्हें स्वर्ण पदक से भी नवाजा जा चुका है। शिवराज सिंह चौहान को जमीन से जुड़ा हुआ नेता माना जाता है। इसी वजह से वह पूरे देश में ‘मामा’ के नाम से मशहूर हैं।
मध्य प्रदेश सरकार में वे चार बार सीएम रह चुके हैं। जो भारतीय जनता पार्टी के राज्य में सबसे लंबे समय तक सीएम पद पर रहने वाले नेता हैं। इसके अलावा शिवराज सिंह 5 बार विधायक और इतनी ही बार सांसद भी रह चुके हैं। उन्होंने अपना पहला चुनाव 1990 में बुधनी से लड़ा था। इसके बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने 1991 के लोकसभा चुनाव में उन्हें खड़ा कर दिया था। 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विदिशा लोकसभा सीट छोड़ने के बाद वे लगातार यहीं से चुनाव लड़ते रहे हैं। 1991 में पहला संसदीय चुनाव जीतने के बाद शिवराज सिंह का करवां चलता रहा और वे 2004 तक लगातार पांच बार सांसद चुने गए।
2003 में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के कहने पर शिवराज ने एमपी विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह के सामने राघौगढ़ से भी चुनाव लड़ा था। लेकिन वे चुनाव जीतने में असफल रहे थे। हालांकि, भले ही शिवराज की इस चुनाव में हार हुई थी। लेकिन पार्टी विधानसभा में बहुमत हासिल कर प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब रही। इसके बाद प्रदेश की कमान उमा भारती के हाथ में सौंप दी गई। कुछ समय बाद बाबूलाल गौर को भी मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन यह फैसला पार्टी के कुछ नेताओं को रास नहीं आया और पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान का नाम सामने रखा। शिवराज का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए अटल बिहारी वाजपेई और लालकृष्ण आडवाणी ने ही रखा था। कहा जाता है कि शिवराज सिंह चौहान को उस घटना का तोहफा मिला जब दिग्विजय सिंह के सामने कोई नेता ख़ड़ा नहीं हो रहा था। उस समय पार्टी की लाज रखने के लिए शिवराज ने राघौगढ़ से चुनाव लड़ा था।
जिसका ख्याल रखते हुए अटल जी और आडवाणी ने शिवराज सिंह को सीएम बनाने का फैसला कर लिया था। उन्होंने बतौर एमपी के सीएम 29 नवंबर 2005 को शपथ ली। इसके बाद 2008 और 2013 में लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। हालांकि, साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत हासिल नहीं हुआ और कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बना ली। लेकिन साल 2020 में सियासी उठापाठक और ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से बगावत के कारण सरकार 15 महीने के अंदर गिर गई और 23 मार्च 2020 को शिवराज सिंह एक बार फिर मध्य प्रदेश के सीएम बने।
प्रदेश में ‘मामा’ के नाम से मशहूर शिवराज सिंह की सबसे प्रसिद्ध योजना ‘लाडली लक्ष्मी योजना’ है। जिसके तहत बेटियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। उन्हें ‘भैया’ बुलाया जाना उनके आत्मीय और सरल स्वभाव के कारण है। मध्य प्रदेश में लाडली बहन योजना लाकर शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की लाखों महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान की। जिसके बाद उन्हें सभी महिलाओं ने उन्हें ‘भैया’ कहकर संबोधित किया।

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