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उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका, दिल्ली HC ने चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

महाराष्ट्र में  सरकार जाने के बाद शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे के लिए सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। दिल्ली हाईकोर्ट से आज एक बार फिर से उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, उद्धव ठाकरे गुट की ओर से डाली गई याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस याचिका में चुनाव आयोग के एक आदेश को चुनौती दी गई थी। पूरा मामला शिवसेना पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल पर रोक लगाने के निर्वाचन आयोग के अंतरिम आदेश को चुनौती देने का है। लेकिन आज दिल्ली हाईकोर्ट ने उद्धव ठाकरे गुट के इस याचिका को खारिज कर दिया है। आपको बता दें कि शिवसेना में बगावत के बाद एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट की ओर से शिवसेना पर अपना-अपना दावा ठोका गया था। बाद में चुनाव आयोग की ओर से दोनों दलों को अलग-अलग नाम और चुनाव चिन्ह अलॉट किया गया।
 

चुनाव आयोग के इसी एक्शन के खिलाफ उद्धव गुट की ओर से याचिका डाली गई थी। हालांकि, अब उसे खारिज कर दिया गया है। कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग को जल्द से जल्द निर्णय लेने का भी आदेश दिया है। न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा कि यह शिवसेना के दोनों गुटों और आम लोगों के हित में होगा कि शिवसेना के धनुष और तीर के चुनाव चिन्ह और नाम के इस्तेमाल पर आयोग की कार्यवाही जल्द ही समाप्त हो। अदालत ने कहा कि मौजूदा याचिका को खारिज किया जाता है। इस साल के शुरु में महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ठाकरे के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद किया था और उनपर कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ अप्राकृतिक गठबंधन करने का आरोप लगाया था। शिवसेना के 55 में से 40 से ज्यादा विधायक शिंदे के साथ चले गए थे जिसके बाद ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। 
 

इसके बाद शिंदे गुट ने पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा करते हुए कहा कि वही असली शिवसेना है। आयोग ने आठ अक्टूबर को अपने अंतरिम आदेश में ठाकरे और शिंदे की अगुवाई वाले शिवसेना के दोनों गुटों को मुंबई की अंधेरी सीट के उपचुनाव के दौरान पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह इस्तेमाल करने से रोक दिया था। ठाकरे ने पिछले महीने उच्च न्यायालय का रुख कर आयोग के इस आदेश को रद्द करने की गुजारिश की थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि आयोग ने मौखिक सुनवाई के अनुरोध के ठाकरे के आवेदन के बावजूद सुनवाई का अवसर दिए बिना आदेश पारित करने में अनुचित जल्दबाजी दिखाई। ठाकरे ने अपनी याचिका में दावा किया है कि पार्टी का चुनाव चिन्ह उसकी पहचान है, जिसका इस्तेमाल शिवसेना की स्थापना के बाद से किया गया है। 1966 में उनके पिता बाल ठाकरे ने पार्टी की स्थापना की थी।

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