हरियाणा विधानसभा ने बुधवार को राज्य के गुरुद्वारों का प्रबंधन और देखरेख के लिए निर्वाचित समिति गठित होने तक 41-सदस्यीय विशेष समिति के गठन को लेकर विधेयक को मंजूरी दे दी।
हालांकि, विपक्षी कांग्रेस के सदस्यों ने विधेयक में विशेष समिति के 18 महीनों तक कार्य करने और समिति का संरक्षक नियुक्त करने के प्रावधान पर आपत्ति जताई।
हरियाणा विधानसभा के तीन-दिवसीय शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन हरियाणा गुरुद्वारा (प्रबंधन) संशोधन विधेयक-2022 पर चर्चा के दौरान कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार सिखों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है।
सदन में विधेयक जब चर्चा के लिए आया तो कांग्रेस विधायक बी. बी. बत्रा ने कहा कि खट्टर सरकार को पूर्ववर्ती भूपेंद्र सिंह हुड्डा-नीत सरकार को धन्यवाद कहना चाहिए जो अलग गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के लिए हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम -2014 लेकर आई।
हालांकि, बत्रा ने विशेष समिति को 18 महीने का कार्यकाल देने के प्रावधान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि राज्य सरकर को प्रदेश मेंगुरुद्वारों के प्रबंधन और देखरेख के लिए निर्वाचित समिति के गठन के लिए छह महीने के भीतर चुनाव कराना चाहिए।
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि 41-सदस्यीय विशेष गुरुद्वारा प्रबंधन एवं देखरेख समिति, निर्वाचित समिति गठित होने तक कार्य करेगी और इसका कार्यकाल 18 महीने से अधिक नहीं होगा।
विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर 18 महीने की अवधि में चुनाव नहीं होता तो राज्य सरकार अगले 18 महीने या चुनाव होने तक (जो भी पहले हो) के लिए नयी विशेष समिति गठित कर सकती है।
कांग्रेस विधायक शमशेर सिंह गोगी ने समिति का एक संरक्षक नियुक्त करने पर आपत्ति जताई।