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दंतेवाड़ा IED विस्फोट में 10 सुरक्षाकर्मियों की मौत: 2009 के बाद से हो चुके हैं अब तक ऐसे कई नक्सली अटैक

छत्तीसगढ़ के जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के दस कर्मी और जिस वाहन में वे यात्रा कर रहे थे उसका चालक बुधवार को एक नक्सली हमले में शहीद हो गए। जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के सुरक्षाकर्मी दंतेवाड़ा के अरनपुर इलाके में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद गए थे। वे इलाके में माओवादी विरोधी अभियान पर थे। क्षेत्र से लौटते समय, डीआरजी बलों का वाहन माओवादियों द्वारा एक तात्कालिक विस्फोटक उपकरण (आईईडी) हमले का लक्ष्य बन गया। यह क्षेत्र राज्य की राजधानी रायपुर से लगभग 450 किमी दूर स्थित है।

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विस्फोट में मारे गए कर्मियों की पहचान
विस्फोट में मारे गए दस सुरक्षाकर्मियों और एक चालक की पहचान जोगा सोढ़ी, मुन्ना राम कडती, संतोष तमो, दुगलो मांडवी, लखमु मरकाम, जोगा कवासी, हरिराम मंडावी, राजू राम करतम, जयराम पोडियम, जगदीश कवासी और ड्राइव धनीराम यादव के रूप में हुई है। 

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बीते कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ में हुए प्रमुख नक्सली अटैक
6 अप्रैल, 2010: दंतेवाड़ा जिले में सुरक्षाकर्मियों पर हुए सबसे बड़े नक्सली हमलों में से एक में माओवादियों ने सीआरपीएफ के 75 जवानों की हत्या कर दी। हमले में राज्य पुलिस के एक अधिकारी की भी मौत हो गई थी।
26 सितंबर, 2009 : छत्तीसगढ़ के जगदलपुर के पैरागुड़ा गांव में बालाघाट से भाजपा सांसद बलिराम कश्यप के बेटों की हत्या कर दी गई।
27 जुलाई, 2009: दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों द्वारा बारूदी सुरंग विस्फोट में छह लोगों की मौत।
18 जुलाई, 2009: बस्तर में नक्सलियों ने एक ग्रामीण को मार डाला। एक अन्य घटना में नक्सलियों ने एक वाहन को भी आग के हवाले कर दिया। वाहन छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सड़क निर्माण कार्य में लगाया जा रहा था।
8 मई, 2010: बीजापुर जिले में नक्सलियों ने एक बुलेट प्रूफ वाहन में विस्फोट किया, जिसमें सीआरपीएफ के आठ जवान शहीद हो गए।
29 जून, 2010: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 26 जवान शहीद। यह हमला उस साल हुए बड़े हमलों का हिस्सा था, जो नक्सली हत्याओं के मामले में सबसे खूनी हमलों में से एक था।
18 अक्टूबर, 2012: माओवादियों ने सीआरपीएफ के छह जवानों की हत्या कर दी और बल में एक डिप्टी कमांडेंट सहित आठ घायल हो गए। नक्सली बारूदी सुरंगों द्वारा घात लगाकर पुलिसकर्मियों के साथ मुठभेड़ का तरीका अपनाते हैं। यह हमला गया जिले में हुआ।
2 जुलाई, 2013: राज्य के दुमका इलाके में नक्सलियों के हमले में पाकुड़, झारखंड के पुलिस अधीक्षक और चार अन्य पुलिस अधिकारी मारे गए।
25 मई, 2013: माओवादियों के सबसे घातक हमलों में से एक में, राज्य के पूर्व मंत्री महेंद्र कर्मा सहित कांग्रेस पार्टी के 25 नेता मारे गए। छत्तीसगढ़ के दरभा घाटी में माओवादी हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रमुख नंद कुमार पटेल भी मारे गए थे।
11 मार्च 2014 : सुकमा जिले में माओवादी हमले में 15 सुरक्षाकर्मी शहीद।
28 फरवरी 2014: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में माओवादियों ने पुलिस कर्मियों पर हमला किया. इस हमले में एक एसएचओ समेत छह पुलिस अधिकारी मारे गए थे।
24 अप्रैल, 2017: सुकमा जिले में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में सीआरपीएफ के 24 जवान शहीद हो गए। सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन के जवानों की रोड ओपनिंग पार्टी पर माओवादियों ने हमला कर दिया। हमला बुरकापाल चिंतागुफा इलाके के बीच हुआ। यह क्षेत्र राज्य में दक्षिण बस्तर के माओवादी-हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का हिस्सा है।
12 मार्च, 2017: छत्तीसगढ़ के उग्रवाद प्रभावित सुकमा जिले में माओवादी हमले में सीआरपीएफ के 12 जवान शहीद हो गए। हमला एक घात लगाकर किया गया था। जवानों की हत्या करने के बाद नक्सलियों ने मृत जवानों के पास से 10 हथियार चुरा लिए और एक आईईडी विस्फोट कर दिया। सीआरपीएफ की 219 बटालियन के जवानों पर सुकमा के घने वन क्षेत्र कोट्टाचेरु गांव के पास भेजी गांव के पास से हमले की सूचना मिली थी। यह स्थान राज्य की राजधानी रायपुर से लगभग 450 किमी की दूरी पर है।
मार्च 2018: सुकमा जिले में माओवादियों द्वारा किए गए आईईडी विस्फोट में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के नौ जवान शहीद हो गए।
अप्रैल 2021: बीजापुर और सुकमा जिलों की सीमाओं से लगे टेराम जंगलों में नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए।
 

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