आज से ठीक 100 साल पहले मशहूर बैरिस्टर सर सुल्तान अहमद ने पटना विश्वविद्यालय के पहले भारतीय कुलपति के तौर पर पदभार संभाला था। अहमद के शानदार कार्यकाल के दौरान ही पटना विश्वविद्यालय के कई ऐतिहासिक शैक्षणिक संस्थानों का जन्म हुआ था।
एक समय प्रसिद्ध पटना विश्वविद्यालय की आभा पिछले कुछ दशकों में कम हो गई है। यह एक अक्टूबर, 1917 को अस्तित्व में आया था और जे. जी. जेनिंग्स विश्वविद्यालय के पहले कुलपति बने थे।
कानून के विद्वान अहमद विश्वविद्यालय के तीसरे कुलपति बने थे और उन्होंने 15 अक्टूबर, 1923 को कार्यभार संभाला था। वह 11 नवंबर, 1930 तक इस पद पर रहे, जो पटना विश्वविद्यालय के अभिलेखीय रिकॉर्ड के अनुसार इसके इतिहास में अब तक के सबसे लंबे कार्यकालों में से एक था।
अहमद के कुलपति रहते हुए पटना विश्वविद्यालय में जो संस्थान स्थापित हुए उनमें पटना साइंस कॉलेज, बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (अब एनआईटी-पटना), प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (आजादी के बाद जिसका नाम पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल रखा गया) और बिहार एवं उड़ीसा पशु चिकित्सा कॉलेज (अब बिहार वेटरनरी कॉलेज) शामिल हैं।
पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आरबीपी सिंह ने अहमद और उनकी शानदार विरासत की सराहना की।
सिंह के कार्यकाल के दौरान पटना विश्वविद्यालय की स्थापना के सौ साल पूरे हुए थे।
सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘वह एक प्रख्यात बैरिस्टर थे और उन्होंने तत्कालीन ब्रिटिश सरकार में विभिन्न प्रमुख पदों पर कार्य किया था। सर सुल्तान का नाम इतिहास में पटना विश्वविद्यालय के पहले भारतीय कुलपति के रूप में भी दर्ज है और विश्वविद्यालय के विकास में उनका योगदान अभूतपूर्व है, क्योंकि उनके कार्यकाल के दौरान इंजीनियरिंग, चिकित्सा, विज्ञान और पशु चिकित्सा से संबंधित शिक्षण संस्थानों की स्थापना हुई।’’
पटना साइंस कॉलेज की स्थापना 1927 में की गई थी और बाद में इसे अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं वाली सुंदर इमारतों के परिसर में स्थानांतरित कर दिया गया। 15 नवंबर, 1928 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने नए परिसर में इसका उद्घाटन किया था।
पटना कॉलेज (1863 में स्थापित, बाद में पटना विश्वविद्यालय के अंतर्गत आया) में भौतिकी के प्रसिद्ध प्रोफेसर, वी एच जैक्सन पटना साइंस कॉलेज के पहले प्राचार्य बने और इसकी संस्थागत विरासत बहुत कुछ उनकी दृष्टि पर टिकी है। वह बाद में पटना विश्वविद्यालय के दूसरे कुलपति बने। कुलपति के रूप में उनका कार्यकाल 16 अक्टूबर 1920 से 14 अक्टूर 1923 तक रहा।
बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग की स्थापना 1924 में हुई, प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (अब पीएमसीएच) की स्थापना 1925 में हुई, और बिहार और उड़ीसा पशु चिकित्सा कॉलेज की आधारशिला 2 अप्रैल, 1927 को प्रांत के तत्कालीन गवर्नर सर हेनरी व्हीलर द्वारा रखी गई थी। उन्होंने 25 फरवरी, 1927 को आधिकारिक तौर पर प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का उद्घाटन किया था, जिसकी परिकल्पना पहली बार 1921 में की गई थी।
अभिलेखीय रिकॉर्ड के अनुसार, विश्वविद्यालय के विशाल सीनेट हॉल – व्हीलर सीनेट हाउस – का उद्घाटन 1926 में सर हेनरी व्हीलर ने किया था, जिन्होंने 1925 में इसकी आधारशिला भी रखी थी।
महात्मा गांधी और प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद व अन्य लोगों के साथ अहमद का एक पुराना चित्र अब भी सीनेट हाउस की दीवारों पर सुशोभित है।
विश्वविद्यालय में लगी एक पट्टिका में यह उल्लेख भी है कि सीनेट हाउस की कल्पना तत्कालीन कुलपति सर सुल्तान अहमद के कार्यकाल के दौरान की गई थी और 1925-26 के दौरान मोंघिर (अब बिहार में मुंगेर) के राजा देवकीनंदन प्रसाद सिंह द्वारा दिये गए दान के जरिये इसका निर्माण कराया गया था।
अहमद के परपोते और पटना उच्च न्यायालय में वकील आलमदार हुसैन ने अफसोस जताते हुए कहा कि उनके परदादा की विरासत को सत्ता में बैठे लोगों और आम लोगों ने भुला दिया है।’’
उन्होंने कहा, अच्छा है कि उन्होंने एक पट्टिका में उनके नाम का उल्लेख किया है। लेकिन, वह पटना विश्वविद्यालय के पहले भारतीय कुलपति थे, उनके जीवन और विरासत के बारे में आज कोई भी कितनी बात करता है।’’
अहमद ने 1922 में अपने भव्य निवास के रूप में पटना में सुल्तान पैलेस बनवाया था, जिसपर पिछले साल से तोड़फोड़ की तलवार लटक रही है। फिलहाल सुल्तान पैलेस में राज्य परिवहन विभाग का कार्यालय स्थित है। अदालत की रोक के कारण फिलहाल तोड़फोड़ रुक गया है।
आलमदार हुसैन ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि लोग सर सुल्तान के महल और उस समृद्ध विरासत को बचाने के लिए आगे आएंगे, जो उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए छोड़ी है।