असम में पांच मूल जनजातीय मुस्लिम समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की समीक्षा होगी, जिससे उनके उत्थान के लिए कदम उठाए जा सकें। इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से दी गई। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘जनता भवन में एक बैठक के दौरान मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने संबंधित अधिकारियों को असम के मूल जनजातीय मुस्लिम समुदायों (गोरिया, मोरिया, देशी, सैयद और जोल्हा) की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की समीक्षा करने का निर्देश दिया है।’’ इसको लेकर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस संबंध में राज्य सचिवालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की।
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इसमें कहा गया है कि इस समीक्षा के निष्कर्ष मूल जनजातीय अल्पसंख्यकों के व्यापक सामाजिक-राजनीतिक और शैक्षणिक उत्थान के उद्देश्य से उपयुक्त कदम उठाने के लिए राज्य सरकार का मार्गदर्शन करेंगे। इससे पहले रविवार को, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि बीजेपी को अगले 10 वर्षों तक ‘चार’ (नदी के रेतीले) क्षेत्रों के ‘मिया’ लोगों के वोटों की ज़रूरत नहीं है जब तक वे बाल विवाह जैसी प्रथाओं को छोड़कर खुद में सुधार नहीं कर लेते।
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यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब बिहार में नीतीश कुमार नीत सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी किए, जिसके अनुसार राज्य की कुल आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है। बिहार के विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें ईबीसी (36 प्रतिशत) सबसे बड़े सामाजिक वर्ग के रूप में उभरा है, इसके बाद ओबीसी (27.13 प्रतिशत) है।