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Sri Padmanabhaswamy Temple | मंदिर का तहखाना खुलते हो जाएगा कलयुग का अंत | Matrubhoomi

भारत समेत दुनियाभर में ऐसे कई रहस्य हैं जिसके बारे में इंसानों को कोई जानकारी नहीं है। विज्ञान चाहे कितनी भी तरक्की कर ले लेकिन ऐसी कई पहेलियां हैं जिसे साइंस आज भी सुलझा नहीं पाया है। आज मातृभमि के इस एपिसोड में आपको ऐसे मंदिर के बारे में बताने वाले हैं जिसके अंदर सोने चांदी और हीरे जवाहरात समेत इतना खजाना छुपा हुआ है कि उसका पता लगाने के लिए भारत के उच्चतम न्यायलय में अर्जी दी गई थी। काफी मेहनत के बाद कपाट भी खोले गए। लेकिन वैज्ञानिकों की टीम के साथ जो चम्तकार हुआ उसे जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। आज आपको दिल्ली से 3 हजार किलोमीटर दूर मौजूद उस मंदिर तक लिए चलते हैं जिसके रहस्यों की पहेली को आजतक दुनिया वाले सुलझा नहीं पाए। पद्मनाभस्वामी मंदिर जो अनेक रहस्य, मान्यताओं, विश्वास और बेहिसाब खजाने का गढ़ माना जाता है। श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थिति भगवान विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर है। भारत में वैष्णव द्वार से जुड़े कुल 108 मंदिरों में से एक है। इसे सबसे पहले किसने बनाया कोई नहीं जानता। मान्यता है कि इस स्थान पर सबसे पहले भगवान विष्णु की मूर्ति प्राप्त हुई थी। उसके बाद उस स्थान पर मंदिर का निर्माण किया गया। मंदिर के समीप ही एक सरोवर है जिसे पद्म तीर्थम यानी ‘कमल जल’ कहा जाता है। ये मंदिर चेरा और द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक खूबसूरत मिश्रण व केरल साहित्य एवं संस्कृति का अनूठा संगम। कहते हैं कि इसके तहखाना में इतना खजाना है कि जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती है। दुनिया का सबसे अमीर मंदिर और उसमें कुछ इसी तरह के सात तहखाने और इन्हीं तहखाने में है खरबों रुपए की दौलत जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। लेकिन यह कोई कल्पना नहीं, कोई फसाना नहीं। यह पूरी हकीकत है। दुनिया के सबसे अमीर स्वामी पद्मनाभस्वामी मंदिर का रसूख जितना ज्यादा है, रहस्य उतना ही गहरा। हिंदुओं की आस्था, विरासत और इतिहास को समेटे पद्मनाभस्वामी मंदिर का सबसे बड़ा और गहरा रहस्य है इसका खजाना। 

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मंदिर की कहानी 
मान्यता है कि इस मंदिर को त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था, जिसका जिक्र 9वीं शताब्‍दी के ग्रंथों में भी आता है। मंदिर के मौजूदा स्वरूप को 18वीं शताब्दी में बनवाया गया था। साल 1750 में महाराज मार्तंड वर्मा ने खुद को भगवान का सेवक यानी की ‘पद्मनाभ दास’ बताया। इसके साथ ही त्रावणकोर राजघराने ने पूरी तरह से भगवान को अपना जीवन और संपत्ति सौंप दी है। श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर भगवान विष्णु का सबसे प्रसद्ध मंदिर है। इस मंदिर के गर्भ गृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए रोजाना हजारों भक्त दूर दूर से आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि तिरुवनंतपुरम भगवान के अनंत नामक नाग के नाम पर रखा गया है। इस मंदिर के गर्भ गृह पर सात तहखाने मिलते हैं। छह पर तो ताला लगा है लेकिन सातवें तहखाने के दरवाजे पर कोई ताला नहीं है। बस नाग के दो चित्र दिखाई देते हैं। 
सरकार ने नहीं लिया अपने कब्जे में 
त्रावणकोर के राजाओं ने 1947 तक राज किया। आजादी के बाद इसे भारत में विलय कर दिया गया, लेकिन इस मंदिर को सरकार ने अपने कब्जे में नहीं लिया। इसे त्रावणकोर के शाही परिवार के पास ही रहने दिया गया, तब से पद्मनाभ स्वामी मंदिर का कामकाज शाही परिवार के अधीन एक प्राइवेट ट्रस्ट चलाता आ रहा है। त्रावणकोर और कोचिन के शाही परिवार और भारत सरकार के बीच अनुबंध 1949 में हुआ था। इसके तहत तय हुआ था कि श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का प्रशासन ‘त्रावणकोर के शासक’ के पास रहेगा। त्रावणकोर कोचिन हिंदू रिलीजियस इंस्टिट्यूशंस एक्ट के सेक्शन 18(2) के तहत मंदिर का प्रबंधन त्रावणकोर के शासक के नेतृत्व वाले ट्रस्ट के हाथ में रहा। त्रावणकोर के अंतिम शासक का निधन 20 जुलाई 1991 को हुआ। 
शक्तिशाली नागपाश मंत्र से किया गया सील 
कहते हैं यहां तकरीबन सात तहखाने मौजूद हैं। सातवें तहखाने में जो खजाना है उसकी रक्षा नागलोक के नाग, पौराणिक पिशाच और अन्य कई अलौकिक देवता करते हैं। जिस भी इंसान ने सातवें दरवाजे को खोलने की कोशिश की वो या तो गु्त तरीके से गायब हो गया या फिर अचानक से उसकी मौत हो गई। साल 1930 में लुटेरों का एक गिरोह मंदिर में करोड़ों का खजाना लुटने आया। उन्होंने जब सातवें दरवाजे को खोलना चाहा तो अचानक से कुछ भयंकर नाग उसके पीछे पड़ गए। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल के संतों ने शक्तिशाली नागपाश मंत्र द्वारा इस कक्ष के प्रवेश द्वार को बंद किया है। पद्मनाभस्वामी मंदिर के सातवें दरवाजे को केवल सटीक समझ वाला पुजारी ही गरूड़ मंत्र के उच्चारण से खोल सकता है। लेकिन सन 2011 में सरकार द्वारा एक ऐसी नादानी हो गई जिसका पछतावा आज भी सभी वैज्ञानिकों को होता है। जिनके द्वारा पद्मनाभस्वामी मंदिर का दरवाजा खोलना का प्रयास किया गया। 
करोड़ो का सोना निकला 
साल 2011 में एक सेवानिवृत आईपीएस अधिकारी सुंदर राजन ने मंदिर के खजाने की जांच करने की मांग सुप्रीम कोर्ट में दायर की। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी खजाने का पता लगाने के लिए सात सदस्यी कमेटी का गठन किया। तिरुवनंतपुरम के लोगों का यही कहना था कि अगर सरकार द्वारा भूल कर भी उस दरवाजे को खोल दिया गया तो सभी लोगों के ऊपर मुसीबत का पहाड़ टूटेगा। कहा जाता है कि इस मंदिर में 7 तहखाने हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट की निगरानी खोला गया और इनमें एक लाख करोड़ रुपए के हीरे और जूलरी निकली थी। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर की 06 तहखानों में 20 अरब डॉलर की संपत्ति है। मूर्ति की लगभग कीमत 500 करोड़ रुपये है। इसके अलावा भगवान के पास हजारों सोने की जंजीरें भी हैं। भगवान का पर्दा ही 36 किलोग्राम सोने का है। इसके बाद जैसे ही टीम ने वॉल्ट-बी यानी की सातवां दरवाजे के खोलने की शुरुआत की तो दरवाजे पर बने कोबरा सांप के चित्र को देखकर काम रोक दिया गया। कई लोगों की मान्यता थी कि इस दरवाजे को खोलना अशुभ होगा। कहा जाता है कि जब वैज्ञानिकों ने दरवाजे पर कान लगाकर सुना तो अंदर से पानी बहने की आवाज आ रही थी। कुछ लोगों का ऐसा भी कहना है कि इस दरवाजे का दूसरा रास्ता अरब सागर की खाड़ी में खुलता है। ऐसा भी कहा जाता है कि पंडितों का कहना है कि इस सातवें दरवाजे के खुलने पर कलयुग का अंत हो जाएगा। 

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