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‘स्टेट ऑफ इंडियाज बर्ड्स’ रिपोर्ट कुछ चिंताजनक रुझानों की ओर इशारा करती है : जयराम रमेश

पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने रविवार को कहा कि स्टेट ऑफ इंडियाज बर्ड्स की ताजा रिपोर्ट कुछ चिंताजनक रुझानों की ओर इशारा करती है और इस बात पर जोर दिया कि पक्षियों तथा कई अन्य प्रजातियों की सुरक्षा के लिए संपूर्ण परिदृश्य को शामिल करने वाले दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।
देश भर के लगभग 30,000 पक्षी विशेषज्ञों से मिले आंकड़ों पर आधारित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 30 साल में संख्या में बदलाव के लिहाज से भारत में पक्षियों की 338 प्रजातियों का अध्ययन किया गया, जिनमें से 60 प्रतिशत में गिरावट दर्ज की गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है, पिछले सात वर्षों में परिवर्तन के लिहाज से मूल्यांकन की गई 359 प्रजातियों में से 40 प्रतिशत (142) में गिरावट आई है।
कांग्रेस महासचिव रमेश ने कहा कि रिपोर्ट से एक और महत्वपूर्ण बात सामने आती है कि हाल ही में संशोधित वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में सूचीबद्ध अनुसूचियों को नवीनतम वैज्ञानिक साक्ष्य और परामर्श के आधार पर समय-समय पर समीक्षा और अद्यतन करने की आवश्यकता है। इस संशोधित अधिनियम का संसद की स्थायी समिति ने विस्तार से अध्ययन किया है।
सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में रमेश ने कहा कि ‘स्टेट ऑफ इंडियाज बर्ड्स’ में कुछ ही दिन पहले दूसरी रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कुछ चिंताजनक रूझान दिख रहे हैं… जिन 942 पक्षी प्रजातियों की निगरानी की गई, उनमें से 204 प्रजातियों में पिछले 30 साल में करीब 25 फीसदी कमी आयी है।

उन्होंने कहा कि कई प्रजातियां ऐसी भी हैं, जिनकी संख्या में तेजी से कमी आ रही है… खासतौर से उन पक्षियों की संख्या में, जो संरक्षित क्षेत्रों के अलावा घास के मैदानों, नदियों और समुद्र तटीय क्षेत्रों में भी रहते हैं।
रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत में पक्षियों को तीन प्रमुख खतरों… वन क्षरण, शहरीकरण और ऊर्जा क्षेत्र के बुनियादी ढांचे.. का सामना करना पड़ा है।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, अवैध शिकार और व्यापार भी बड़ा खतरा बने हुए हैं।

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