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नयी दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने रविवार को उस कोचिंग सेंटर के मालिक और समन्वयक को गिरफ्तार कर लिया, जिसके ‘बेसमेंट’ में शनिवार को पानी भर जाने के कारण तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों की मौत हो गई। इस घटना को लेकर इलाके में विरोध-प्रदर्शन हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि कोचिंग सेंटर को ‘बेसमेंट’ का उपयोग ‘स्टोर रूम’ के रूप में करने की अनुमति थी, लेकिन इसका इस्तेमाल पुस्तकालय के रूप में किया जा रहा था, जो नियमों का उल्लंघन है। दिल्ली की महापौर शैली ओबेरॉय ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) आयुक्त को निर्देश दिया कि वह दिल्ली में एमसीडी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले ऐसे सभी कोचिंग संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें, जो ‘बेसमेंट’ में व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं। उन्होंने घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। दिल्ली अग्निशमन सेवा के प्रमुख अतुल गर्ग ने कहा कि संस्थान अग्निशमन विभाग के मानदंडों का उल्लंघन कर काम कर रहा था।
गर्ग ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘इमारत के पास आग संबंधी अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) है, लेकिन एनओसी में उन्होंने दिखाया था कि ‘बेसमेंट’ का इस्तेमाल ‘स्टोर रूम’ के तौर पर किया जाएगा। संस्थान का प्रबंधन, उसी कमरे का इस्तेमाल कक्षा या पुरस्कालय के तौर पर कर रहा था, जो एनओसी का उल्लंघन है।’’ गिरफ्तार आरोपियों की पहचान कोचिंग सेंटर के मालिक अभिषेक गुप्ता और सेंटर के समन्वयक देशपाल सिंह के रूप में की गई है। इस घटना को लेकर राजेंद्र नगर में विरोध-प्रदर्शन हुआ। दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल भी घटनास्थल पर पहुंचीं। कांग्रेस की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष देवेंद्र यादव भी घटनास्थल पर पहुंचे। कोचिंग सेंटर पर विभिन्न एजेंसी का तलाश अभियान मध्य रात्रि के बाद भी जारी रहा और यह सात घंटे बाद समाप्त हुआ।
पुलिस ने बताया कि इस घटना में मारे गए सिविल सेवा अभ्यर्थियों की पहचान उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर की श्रेया यादव, तेलंगाना की तान्या सोनी और केरल के एर्नाकुलम के रहने वाले नवीन दलविन के रूप में की गई है। श्रेया यादव के रिश्तेदार धर्मेंद्र यादव ने कहा कि उन्हें समाचार चैनलों के माध्यम से घटना के बारे में पता चला। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उसे कॉल करने की कोशिश की, लेकिन उसका फोन बंद था। यहां तक कि कोचिंग सेंटर का नंबर भी नहीं लग रहा था। मैं गाजियाबाद से निकलकर उस जगह पहुंचा जहां वह रहती थी, लेकिन उसका कमरा बंद था।’’
धर्मेंद्र ने कहा, ‘‘मैं कोचिंग सेंटर गया, जहां मेरी मुलाकात डीसीपी से हुई और उन्होंने मुझे आरएमएल (राम मनोहर लोहिया) अस्पताल जाने को कहा। अस्पताल में मुझे उसका शव देखने की अनुमति नहीं दी गई। हालांकि, उन्होंने (अस्पताल ने) उसका शव मिलने की पुष्टि की।’’ आरएमएल अस्पताल में पीड़ितों के रिश्तेदारों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि उन्हें ‘‘शव देखने की अनुमति नहीं दी जा रही है, जबकि वे सुबह से इंतजार कर रहे हैं।’’
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस घटना पर शोक जताया और कहा कि आम लोग असुरक्षित निर्माण, खराब नगर नियोजन और हर स्तर पर संस्थानों के गैर-जिम्मेदाराना रुख की कीमत अपनी जान गंवाकर चुका रहे हैं। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस घटना को ‘‘मानव निर्मित आपदा’’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘दूर-दूर से छात्र दिल्ली में पढ़ने आए थे। लेकिन अवैध ढांचों को वैध ढांचों से अलग करने की क्या व्यवस्था है? क्या एमसीडी इस पर गौर कर रहा है? जल निकासी व्यवस्था की क्या स्थिति है? ये सभी सवाल इन मौतों से जुड़े विवादों को जन्म देते हैं।’’
खेड़ा ने कहा, ‘‘पिछले सप्ताह एक छात्र की बिजली का तार छूने से मौत हो गई। क्या हमें दिल्ली आने वाले छात्रों के साथ ऐसा व्यवहार करना चाहिए? कार्रवाई की जानी चाहिए, जवाबदेही तय की जानी चाहिए और दिल्ली को इतने असंवेदनशील शहर के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।’’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इस घटना को ‘‘हत्या’’ करार दिया और कहा कि दिल्ली में अपना भविष्य बनाने आए छात्र ‘‘भ्रष्टाचार का शिकार हो रहे हैं।’’
सचदेवा ने कहा, ‘‘ ‘बेसमेंट’ में पुस्तकालय कैसे बना, इसका जवाब कोई नहीं दे रहा। मुखर्जी नगर में एक घटना हुई थी, दिल्ली सरकार ने जांच शुरू की थी। उस जांच का क्या हुआ? दिल्ली की मंत्री (आतिशी) अभी तक घटनास्थल पर नहीं पहुंची हैं। स्थानीय लोग नाले की सफाई की मांग कर रहे थे। जो भी जिम्मेदार है, उसे सजा मिलनी चाहिए। छात्रों का क्या दोष है?’’
दिल्ली की महापौर शैली ओबेरॉय ने दिल्ली नगर निगम आयुक्त को निर्देश दिया कि वह दिल्ली में एमसीडी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले ऐसे सभी कोचिंग संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें, जो ‘बेसमेंट’ में व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे भवन उपनियमों का उल्लंघन हैं और मानदंडों के अनुरूप नहीं हैं। ओबेरॉय ने इस बात की भी जांच कराने की मांग की कि क्या इस घटना के लिए एमसीडी का कोई अधिकारी जिम्मेदार है।