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पानी छोड़ने के नियमों को लेकर बांध प्राधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए: मुख्यसचिव

हिमाचल प्रदेश में भारी वर्षा और आकस्मिक बाढ़ के कहर के बीच मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने पानी छोड़ने के दिशानिर्देशों का पालन नहीं करने को लेकर बांध प्राधिकारियों के खिलाफ शुक्रवार को कड़ी कार्रवाई पर जोर दिया और कहा , ‘‘ यह नोटिस भेजने का समय है न कि पत्र या स्मरण पत्र भेजने का।’’
बांधों से पानी छोड़े जाने के संदर्भ में सुरक्षा मुद्दों पर एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए सक्सेना ने कहा कि विनाश का एक हिस्सा तो प्राकृतिक है लेकिन बांध सुरक्षा अधिनियम (डीएसए) के संबंधित प्रावधानों तथा केंद्रीय जल आयोग के 2015 के दिशानिर्देशों के अनुपालन में बांध प्राधिकारियों की विफलता को लेकर जिम्मेदारी जरूर तय की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि सन् 2014 में बिना पूर्व चेतावनी के लारजी बांध से पानी छोड़े जाने पर हुई आंध्रप्रदेश के 24 विद्यार्थियों के पानी में बहने की घटना के बाद पूर्व चेतावनी प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया गया
उन्होंने कहा कि यह कानून सभी विशिष्ट जलाशयों की निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रखरखाव की व्यवस्था प्रदान करता है।
मुख्य सचिव ने कहा कि लेकिन कई बांध प्राधिकारी अपने दायित्वों का निर्वहन करने में विफल रहे , फलस्वरूप सरकारी एवं निजी सपंत्ति, कृषि उपज , सड़क नेटवर्क को बड़ा नुकसान पहुंचा।

यहां जारी एक बयान के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘ मनाने और बातचीत करने का वक्त निकल गया है, अब हमें उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कड़े कदम उठाने से नहीं हिचकना चाहिए।’’
मुख्य सचिव ने अधिकारियों से कहा, ‘‘यह पत्र या स्मरण पत्र भेजने का नहीं बल्कि नोटिस भेजने का समय है।’’
उन्होंने अधिकारियों को बांध प्राधिकारियों की लापरवाही की वजह से हुए नुकसान पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने तथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। राज्य में 16 बांध हैं।
हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में वर्षा जनित घटनाओं में 75 लोगों की जान चली गयी है।

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