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स्टडी में कहा गया है कि लोगों को कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने में कॉर्बेवैक्स का बूस्टर डोज सफल साबित हुआ

कुछ देशों में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से इजाफे के बाद भारत में नयी कोविड लहर की आशंकाओं को लेकर चिंता के बीच यहां स्थित एआईजी हॉस्पिटल्स ने एक वैज्ञानिक अध्ययन के परिणाम जारी किये हैं।
अध्ययन के अनुसार, वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप से लड़ने में स्वदेश निर्मित हीटीरोलोगस बूस्टर टीके कोर्बेवैक्स से प्रतिरोधक क्षमता के संबंध में लाभकारी साबित हुए हैं।
हीटीरोलोगस बूस्टर टीका वह होता है जिसे किसी अन्य टीकों की प्राथमिक खुराक के बाद लगाया जाता है।

एआईजी हॉस्पिटल्स के अध्यक्ष और अध्ययनकर्ताओं में शामिल डॉ डी नागेश्वर रेड्डी ने अध्ययन के प्रमुख पहलुओं की व्याख्या करते हुए एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि यह अध्ययन उन 250 स्वास्थ्य कर्मियों पर किया गया जिन्होंने छह महीने की अवधि के भीतर प्राथमिक टीके के रूप में कोविशील्ड की दो खुराक लगवाई हैं।
डॉ रेड्डी ने कहा, ‘‘प्रथम पहलू इस संयोजन की सुरक्षा का परीक्षण करना था। हमें यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि 250 प्रतिभागियों में से एक को भी कोर्बेवैक्स बूस्टर खुराक लगने के बाद किसी तरह का दुष्प्रभाव सामने नहीं आया। इससे हमारा यह विश्वास पुख्ता हुआ कि मिश्रित टीके पूरी तरह सुरक्षित हैं।’’

विज्ञप्ति के अनुसार अध्ययन का दूसरा पहलू 30 दिन और फिर 90 दिन पर एंटीबॉडी प्रतिक्रिया तथा टी-सैल (स्मृति कोशिका) प्रतिक्रिया का आकलन करना था ताकि ओमीक्रोन स्वरूप के खिलाफ सुरक्षा का सटीक अनुमान लगाया जा सके। इसमें कहा गया कि कोर्बेवैक्स ने बूस्टर खुराक के रूप में 30 दिन और 90 दिन दोनों स्तर पर एंटीबॉडी का उच्च स्तर प्रदर्शित किया।
अध्ययन का प्रकाशन ‘वैक्सीन्स’ पत्रिका में किया गया है। इसमें बताया गया कि 250 प्रतिभागियों में से 10 लोग बूस्टर खुराक लेने के 30 दिन के बाद कोविड संक्रमित हुए।

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