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सुपरटेक प्रमुख आर के अरोड़ा घर खरीददारों के धन की हेराफेरी करने वाला मुख्य व्यक्ति: ईडी

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को आरोप लगाया कि रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक के मालिक आर. के. अरोड़ा, समूह की ओर से फैसला लेने वाले मुख्य व्यक्ति थे, जिन्होंने निवेशकों और घर खरीददारों के करोड़ों रुपये को विभिन्न मुखौटा कंपनियों में ‘डायवर्ट’ करने का निर्णय लिया।
अरोड़ा को मंगलवार को धनशोधन निवारण कानून (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया गया था।
ड्यूटी सत्र न्यायाधीश देवेंदर कुमार जंगाला की अदालत ने उन्हें 10 जुलाई तक ईडी की हिरासत में भेज दिया।
ईडी ने एक बयान में कहा, ‘‘यह गिरफ्तारी सुपरटेक समूह के खिलाफ निवेशकों और ग्राहकों के धन की हेराफेरी करने और उसे अन्यत्र इस्तेमाल करने के आरोपों की जांच के सिलसिले में की गई है।’’
ईडी ने कहा, ‘‘सुपरटेक समूह के माध्यम से सैकड़ों करोड़ रुपये की राशि की हेराफेरी की गई और वे ग्राहकों को समय पर फ्लैट का कब्जा प्रदान करने के लिए अपने सहमत दायित्वों का पालन करने में विफल रहे।’’

इसने दावा किया कि सुपरटेक समूह ने ग्राहकों और घर खरीदारों से प्राप्त 440 करोड़ रुपये 2013-14 में गुरुग्राम में अत्यधिक ऊंची कीमतों पर जमीन खरीदने में लगाये थे, जबकि नोएडा में उसकी पहले से लंबित परियोजनाएं पूरी नहीं हो सकी थीं।
ईडी का आरोप है कि इस नई अधिग्रहीत भूमि पर एक नई परियोजना शुरू की गई और सैकड़ों घर खरीददारों से अग्रिम राशि एकत्र की गई तथा बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से ऋण लिया गया, जो एनपीए (गैर-निष्पादित संपत्ति) में तब्दील हो गया तथा बैंकों ने इसे ‘धोखाधड़ी’ करार दिया था।
सुपरटेक को अगस्त 2022 में उस वक्त एक बड़ा झटका लगा था, जब नोएडा एक्सप्रेसवे पर स्थित उसके लगभग 100 मीटर ऊंचे जुड़वां टावर को उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद ध्वस्त कर दिया गया था। न्यायालय ने पाया था कि एमराल्ड कोर्ट परिसर के भीतर टावर का निर्माण मानदंडों का उल्लंघन करके किया गया था।
अरोड़ा ने कहा था कि ट्विन टावर को ढहाये जाने के कारण कंपनी को निर्माण और ब्याज लागत सहित लगभग 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

कंपनी को पिछले साल मार्च में एक और झटका लगा जब राष्ट्रीय कंपनी कानून अधिकरण (एनसीएलटी) की दिल्ली पीठ ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा लगभग 432 करोड़ रुपये का बकाया न चुकाने को लेकर दायर याचिका पर उसके खिलाफ दिवालिया कार्यवाही का आदेश दिया।
अरोड़ा ने इस आदेश को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय अधिकरण (एनसीएलएटी) के समक्ष चुनौती दी, जिसने सुपरटेक लिमिटेड की केवल एक आवास परियोजना के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही का आदेश दिया, न कि पूरी कंपनी के खिलाफ।
एनसीएलएटी ने ग्रेटर नोएडा (पश्चिम) स्थित इको विलेज-टू परियोजना के लिए ऋणदाताओं की समिति के गठन का भी निर्देश दिया।
अरोड़ा ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि कंपनी को हाल ही में मुख्य फर्म सुपरटेक लिमिटेड के तहत दिल्ली-एनसीआर में चल रही 18 आवास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए संस्थागत निवेशकों से लगभग 1,600 करोड़ रुपये की व्यवस्था करने के लिए उच्चतम न्यायालय से अनुमति मिली है।
इन 18 परियोजनाओं के अलावा, सुपरटेक समूह की विभिन्न कंपनियों के तहत कुछ अन्य आवास परियोजनाएं भी हैं।

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