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Yes Milord: असली NCP की जंग! इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम रोक, जानें इस हफ्ते कोर्ट में क्या कुछ हुआ

सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड अप में इस सप्ताह कानूनी खबरों के लिहाज से काफी उथल-पुथल वाला रहा है। चुनाव आयोग के फैसले से नाराज शरद पवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। संदेशखाली मामले में सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल की गई है। पीएम मोदी की डिग्री से जुड़े मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने सीएम केजरीवाल और संजय सिंह को झटका लगा है। इलेक्टोरल बॉन्ड को सूचना के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाई। राउज़ एवेन्यू स्थित आम आदमी पार्टी के दफ्तर की जमीन पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जतायी। इस सप्ताह यानी 12 फरवरी से 17 फरवरी 2024 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे। 

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कानूनी तरीके से मिली थी जमीन
आम आदमी पार्टी (आप) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने दिल्ली हाई कोर्ट के लिए आवंटित जमीन पर अतिक्रमण नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह जमीन पार्टी को 2015 में आवंटित की गई थी। पार्टी कार्यालय को तत्काल रूप से खाली करने के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर आप ने कहा कि इससे आने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और पार्टी की छवि खराव होगी। आप की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि उस स्थान पर किसी भी अतिक्रमण का सवाल नहीं है। यह जमीन उन्हें 2015 में कानूनी तरीके से आवंटित की गई थी। आप की ओर से कहा गया है कि वह मौजूदा परिसर खाली करने को तैयार है।
इलेक्टोरल बांड को सुप्रीम कोर्ट ने बताया संविधान के खिलाफ
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में राजनीतिक पार्टियों को दिए जाने वाले चंदे के लिए लाई गई चुनावी बॉण्ड स्कीम को रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये योजना सूचना के अधिकार और बोलने की आजादी के हक का उल्लंघन करती है। ये योजना असंवैधानिक है। लोकसभा चुनाव से पहले आये इस फैसले में चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि एसवीआई नए वॉण्ड जारी न करे और 12 अप्रैल 2019 से अव तक खरीदे गए चुनावी बॉण्ड का पूरा ब्योरा निर्वाचन आयोग को 6 मार्च तक दे। आयोग पूरी जानकारी 13 मार्च तक साइट पर सार्वजनिक करे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि चुनावी वॉन्ड को वैलिडिटी पीरियड में कैश न कराए जाने की स्थिति में पार्टियां उसे खरीदने वाले को वापस करें। बैंक इसका रिफंड दे।

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चुनाव आयोग के फैसले से नाराज शरद पवार पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के रूप में मान्यता देने वाले निर्वाचन आयोग के आदेश को चुनौती देने वाली शरद पवार की याचिका को शीघ्र सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा। शरद पवार ने उनके नेतृत्व वाले समूह को मिले दोहरे झटके और इसके परिणामस्वरूप उनके विधायकों पर व्हिप के संभावित उल्लंघन को लेकर कार्रवाई किये जाने के डर के मद्देनजर अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष शरद पवार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट द्वारा व्हिप जारी किया जा सकता है। सिंघवी ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के 15 फरवरी के आदेश के मद्देनजर याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने की आवश्यकता है। नार्वेकर ने कहा था कि अजित पवार के नेतृत्व वाला गुट ही असली राकांपा है और संविधान में दलबदल विरोधी प्रावधानों का इस्तेमाल आंतरिक असंतोष को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा संदेशखाली विवाद
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के संदेशखालि गांव में हुई हिंसा मामले की अदालत की निगरानी में सीबीआई या एसआईटी से जांच कराने के अनुरोध संबंधी जनहित याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए विचार करने पर सहमति जताई है। जनहित याचिका को प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया गया था। प्रधान न्यायाधीश ने पूछा कि क्या आपने (तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए) कोई ईमेल भेजा है? जनहित याचिका दायर करने वाले वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने जब हां में जवाब दिया तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मैं दोपहर में इस पर विचार करूंगा।
प्रधानमंत्री की डिग्री से संबंधित मामला
गुजरात हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता के बारे में उनकी टिप्पणियों से संबंधित आपराधिक मानहानि मामले में दोनों नेताओं के खिलाफ जारी समन को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और ‘आप’ के राज्यसभा सदस्य सिंह ने अपनी याचिकाओं के माध्यम से, गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा दायर मामले में निचली अदालत की ओर से जारी समन और इसके बाद आए सत्र अदालत के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें समन के खिलाफ उनके पुनरीक्षण आवेदन को खारिज कर दिया गया था। 

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