सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली पुलिस से माकपा नेता बृंदा करात की उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें निचली अदालत द्वारा केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार करने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया गया था। जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने शहर की पुलिस को नोटिस जारी किया और तीन सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। सुनवाई के दौरान पीठ ने प्रथम दृष्टया मजिस्ट्रेट के इस रुख पर गौर किया कि भाजपा के दो नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए मंजूरी की आवश्यकता सही नहीं थी।
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पिछले साल 13 जून को दिल्ली उच्च न्यायालय ने माकपा नेताओं बृंदा करात और केएम तिवारी द्वारा भाजपा के दो सांसदों के खिलाफ उनके कथित घृणास्पद भाषणों के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया था। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा था कि कानून के तहत मौजूदा तथ्यों में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी लेनी जरूरी है। याचिकाकर्ताओं ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपनी शिकायत में दावा किया था कि ठाकुर और वर्मा ने “लोगों को उकसाने की कोशिश की थी, जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली में दो अलग-अलग विरोध स्थलों पर गोलीबारी की तीन घटनाएं हुई।
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याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि 27 जनवरी, 2020 को राष्ट्रीय राजधानी में रिठाला में एक रैली में शाहीन बाग के सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों पर भड़काने के लिए ठाकुर ने भड़काऊ नारा देश के गद्दारों को गोली मारो लगाने के लिए उकसाया।