नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मुख्तार अंसारी की मौत पर संज्ञान लेते हुए मंगलवार को उस मामले को बंद कर दिया जिसमें उसने 24 साल पुराने एक मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा खुद को पांच साल कारावास की सजा सुनाए जाने के फैसले को चुनौती दी थी। गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी ने जेल में रहते हुए सजा के खिलाफ अपील दाखिल की थी। न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने अंसारी के निधन संबंधी बयान पर संज्ञान लेते हुए कहा, ‘‘याचिकाकर्ता अब जीवित नहीं है। इसलिए सुनवाई की प्रक्रिया समाप्त की जाती है।’’
अंसारी की 28 मार्च को उत्तर प्रदेश के बांदा जेल के अस्पताल में हृदयाघात से मौत हो गई थी। पिछले साल 13 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अंसारी द्वारा दाखिल अपील पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया था। इससे पहले 23 सितंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने गैंगस्टर अधिनियम के तहत मामले में अंसारी को अधीनस्थ अदालत द्वारा बरी करने के आदेश को पलटते हुए पांच साल कारावास की सजा सुनाई थी।
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उच्च न्यायालय ने सांसद/विधायक विशेष अदालत द्वारा 2020 में बरी किए जाने के फैसले को पलटते हुए अंसारी पर 50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया था। उत्तर प्रदेश गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम के तहत 1999 में लखनऊ के हजरतगंज पुलिस थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। विशेष अदालत ने 2020 में अंसारी को बरी कर दिया था और राज्य सरकार ने इस फैसले के खिलाफ 2021 में उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की थी।