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इंदिरा गाँधी के जमाने से अब तक अपनी साख बचाकर रखने में कामयाब रहे हैं Suresh Jain, सात बार चुने जा चुके हैं विधायक

महाराष्ट्र के जलगाँव क्षेत्र से आने वाले पूर्व विधायक सुरेशकुमार भीकमचंद जैन उर्फ सुरेश जैन को राज्य की राजनीति में बहुत ही दमदार और ईमानदार नेता के तौर पर देखा जाता है। अपनी इसी छवि के कारण उन्होंने जालना विधानसभा सीट का 1980 से लेकर 2014 तक लगातार रिकॉर्ड सात बार प्रतिनिधित्व किया है। वे सबसे पहले देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के समय कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा में पहुँचे थे। जिसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर राज्य के लगभग सभी बड़े दलों के झंडे तले राजनीति की है। सुरेश जैन अंतिम बार शिवसेना के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे।
सुरेशकुमार भीकमचंद जैन, जिन्हें सुरेश जैन के नाम से जाना जाता है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में कई बार अपनी पार्टी की संबद्धता बदली और रिकॉर्ड सात बार महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुने गए। फिलहाल वह जलगांव आवास घोटाले में एक सजायाफ्ता अपराधी हैं। जैन महाराष्ट्र सरकार में मंत्री थे और जलगांव घरकुल घोटाला में मुख्य साजिशकर्ता थे। अदालत ने उन्हें दोषी पाए जाने पर 7 साल की कैद की सज़ा सुनाई थी। इस घोटाले के कारण जलगांव नगर निगम को 150 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। जिसे महाराष्ट्र के सबसे बड़े भ्रष्टाचार घोटालों में से एक माना जाता है। 
विधायक सुरेश जैन 1980 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा) उम्मीदवार के रूप में जलगांव निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए , 1985 में भारतीय कांग्रेस (समाजवादी) उम्मीदवार के रूप में, 1990 में भारतीय कांग्रेस (समाजवादी) – शरत चंद्र सिन्हा उम्मीदवार के रूप में, 1995 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में, 1999 में शिवसेना उम्मीदवार के रूप में, 2004 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में और 2009 में वे शिवसेना उम्मीदवार के रूप में जलगांव शहर निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए । 1990 के दशक में जैन शिवसेना पार्टी में थे और राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया। वे उत्तर महाराष्ट्र में शिवसेना के एक प्रमुख नेता थे ।
क्या है जलगांव आवास घोटाला ?
राज्य के धुले जिले की सत्र अदालत ने कई करोड़ रुपये के ‘घरकुल’ आवास घोटाले में दोषी ठहराये जाने के बाद राज्य के पूर्व मंत्रियों सुरेश जैन और गुलाबराव देवकर को क्रमश: सात साल और पांच साल जेल की सजा सुनाई थी। इस मामले में 46 अन्य आरोपियों को तीन से सात साल तक की सजा सुनाई गई। विशेष न्यायाधीश सृष्टि नीलकंठ ने 29 करोड़ रुपये के आवासीय परियोजना घोटाले के मामले में शिवसेना नेता सुरेश जैन को सात साल की सजा सुनाई और उन पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। 1990 के दशक में जब वह गृह राज्य मंत्री थे, तब यह घोटाला हुआ था।
इस घोटाले के आरोपियों में जैन और देवकर के अलावा नगर निगम के कुछ पूर्व पार्षद और अधिकारी शामिल हैं। अदालत के फैसला सुनाने के तुरंत बाद अदालत में मौजूद सभी 48 आरोपियों को हिरासत में ले लिया गया। जैन को मार्च 2012 में गिरफ्तार किया गया। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने से पहले वह एक साल से अधिक समय जेल में काट चुके हैं।

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