2024 से पहले विपक्षी एकता को धार देने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात की। हालांकि, दोनों मुख्यमंत्रियों ने दावा किया कि बैठक के दौरान अगले साल लोकसभा चुनाव के लिए जद (यू) और बीजू जनता दल (बीजद) के बीच किसी भी राजनीतिक गठबंधन बनाने पर कोई चर्चा नहीं हुई। लेकिन इसको लेकर राजनीति शुरू हो गई है। भाजपा ने नीतीश कुमार के ओडिशा दौरे को पूरी तरह से विफल बताया है। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि ओडिशा के मुख्य मंत्री नवीन पटनायक ने नीतीश कुमार से कोई राजनीतिक बात नहीं होने की पुष्टि कर विपक्षी एकता को करारा झटका दिया।
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भाजपा नेता ने कहा कि नवीन पटनायक भाजपा और कांग्रेस से समान दूरी बनाये रखने की अपनी नीति पर कायम रहे, जबकि ममता बनर्जी और शरद पवार के बाद नीतीश कुमार भी उन्हें भाजपा-विरोधी खेमे में लाने में नाकाम रहे। उन्होंने कहा कि अपनी राजनीतिक मंशा की विफलता पर पर्दा डालने के लिए मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि वे बिहार भवन के लिए जमीन मांगने के लिए उड़ीसा गए थे। मोदी ने साफ तौर पर कहा कि कहा कि नीतीश कुमार की इस बात में कोई दम नहीं, क्योंकि किसी राज्य सरकार से जमीन आवंटित करने जैसे काम के लिए किसी मुख्यमंत्री को वहाँ जाने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री की बात को सही मान लिया जाए, तो क्या मुंबई में बिहार भवन के लिए जमीन मांगने वे शरद पवार से पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे से भी मिलेंगे?
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भाजपा के राज्यसभा सांसद ने कहा कि नीतीश कुमार की उड़ीसा यात्रा के लिए जेट प्लेन आदि का खर्च करदाताओं के धन की बरबादी है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जेडी-एस के नेता कुमारस्वामी से मिले, लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस-जेडी-एस में एकता नहीं करा पाए। मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार के राजनीतिक पर्यटन के बावजूद ममता बनर्जी और केजरीवाल ऐसे मंच का हिस्सा बनने को तैयार नहीं, जिसकी अगुवाई कांग्रेस करे या उसमें साथ हो। उन्होंने कहा कि पहले केसीआर और अब नवीन पटनायक ने विपक्षी एकता की मुहिम की हवा निकाल दी।