सदन से विपक्ष के बहिर्गमन के बावजूद तमिलनाडु विधानसभा ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से राज्य से एनईईटी को खत्म करने और छात्रों को 12वीं कक्षा के अंकों के आधार पर मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश की अनुमति देने का आग्रह किया। प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि सत्तारूढ़ द्रमुक राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित एनईईटी के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगी, जो स्नातक परीक्षाओं और अन्य कार्यक्रमों के संचालन में कथित अनियमितताओं को लेकर जांच के दायरे में है।
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राहुल गांधी, अखिलेश यादव और तेजस्वी सूर्या समेत कई नेताओं ने पत्र लिखकर NEET पर रोक लगाने की मांग की है। स्टालिन ने कहा कि मैं विधानसभा से आग्रह करता हूं कि हमें एनईईटी से छूट दिलाने और देश भर में एनईईटी को हटाने के लिए इस प्रस्ताव को एक अग्रदूत के रूप में पारित किया जाए। प्रस्ताव के अनुसार, एनईईटी ने ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों की चिकित्सा की पढ़ाई की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया और स्कूली शिक्षा को बेकार कर दिया, और मेडिकल कॉलेजों में छात्रों के लिए सीटें आवंटित करने का अधिकार छीन लिया। स्टालिन ने कहा कि एनईईटी को हटाया जाना चाहिए। तमिलनाडु को छूट दी जानी चाहिए। केंद्र सरकार को विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को मंजूरी देनी चाहिए, जिसमें चिकित्सा की पढ़ाई के लिए 12वीं कक्षा के अंकों को आवश्यक योग्यता के रूप में अनुमति दी गई है।
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उन्होंने कहा कि इसके अलावा, चूंकि कई राज्य परीक्षा प्रणाली का विरोध कर रहे हैं, जिसे कई विवादों का सामना करना पड़ा है, इसलिए एनईईटी को हटाने के लिए केंद्र द्वारा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम में आवश्यक संशोधन किए जाने चाहिए। भाजपा विधायक नैनार नागेंद्रन ने प्रस्ताव का विरोध किया और दावा किया कि यह कांग्रेस ही थी जो NEET लेकर आई थी। विपक्ष के विधानसभा से बाहर जाने से पहले नागेंद्रन ने कहा कि एनईईटी जरूरी है और इसलिए हम इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर सकते और हमने वॉकआउट करने का फैसला किया है।