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Vanakkam Poorvottar: Tamil Nadu ने BJP को वोट नहीं दिये क्या इसलिए ही उसे Union Budget में कुछ नहीं मिला

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक संतुलित बजट पेश करते हुए 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने का आधार प्रस्तुत किया है लेकिन विपक्ष के लोग इस बजट के बारे में अफवाह और भ्रम फैला रहे हैं। खासतौर पर भारत के दक्षिणी राज्यों से आने वाले विपक्षी नेता बजट को भेदभाव से भरा हुआ बता रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि उनके राज्यों के साथ अन्याय किया गया है। खासकर तमिलनाडु में सत्तारुढ़ द्रमुक ने केंद्रीय बजट के खिलाफ सबसे तगड़ा मोर्चा खोल दिया है। द्रमुक प्रमुख और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने केंद्रीय बजट प्रस्तुत होने के बाद उसका विरोध करते हुए सबसे पहले यह ऐलान किया था कि वह नीति आयोग की बैठक में नहीं जायेंगे। संसद में भी द्रमुक सांसदों ने बजट के खिलाफ सतत अभियान चलाया हुआ है। द्रमुक सांसद दयानिधि मारन ने केंद्र सरकार पर तमिलनाडु और तमिल जनता से भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि राज्य की जनता भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को कभी माफ नहीं करेगी। द्रमुक का आरोप है कि तमिलनाडु को इसलिए दंडित किया जा रहा है क्योंकि उसने भाजपा को चुनावों में समर्थन नहीं दिया। द्रमुक का आरोप है कि प्रधानमंत्री उन लोगों के लिए काम नहीं कर रहे जिन्होंने उन्हें वोट नहीं दिया।
द्रमुक का आरोप है कि केंद्र सरकार ने तमिलनाडु को तीन साल से चेन्नई मेट्रो रेल परियोजना के लिए बकाया धन नहीं दिया है और बाढ़ के संकट के समय भी राज्य की मदद नहीं की। द्रमुक का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी कई बार कह चुके हैं कि वह तमिल भाषा को प्यार करते हैं लेकिन उन्हें बताना चाहिए कि उन्होंने तमिल भाषा और तमिल लोगों के लिए क्या किया है? केंद्रीय बजट में तमिलनाडु की पूरी तरह से अनदेखी का आरोप लगाते हुए जब मुख्यमंत्री स्टालिन ने 27 जुलाई को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार किया तो उसके बाद कई और विपक्ष शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने उनका अनुसरण किया।

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द्रमुक का आरोप है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण के दौरान एनडीए सरकार को समर्थन दे रहे नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू द्वारा शासित बिहार और आंध्र प्रदेश का जिक्र तो किया लेकिन तमिलनाडु का उल्लेख नहीं किया जबकि उसे भी केंद्रीय मदद की सख्त जरूरत है। देखा जाये तो यहां द्रमुक जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है क्योंकि उसकी ओर से कहा जा रहा है कि जिन राज्यों का बजट भाषण में जिक्र नहीं होता उनको बजटीय प्रावधानों का पूरा लाभ नहीं मिलता। 2004 से 2014 तक जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी जिसमें द्रमुक भी शामिल थी, तब छह सालों के बजट भाषण में तमिलनाडु का जिक्र नहीं आया था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या उन वर्षों में तमिलनाडु को बजटीय प्रावधानों का लाभ नहीं मिला था?
यूपीए बनाम एनडीए शासन के दौरान तमिलनाडु को मिली केंद्रीय मदद पर गौर करें तो पता चलता है कि 2014 से 2024 तक तमिलनाडु को केंद्रीय बजट में की गयी घोषणाओं से दस गुना ज्यादा मदद मिली है। इससे प्रदर्शित होता है कि तमिलनाडु के लिए यूपीए नहीं बल्कि एनडीए राहत लेकर आया है।
केंद्रीय बजट के विरोध में नीति आयोग की बैठक का बहिष्कर कर रहे मुख्यमंत्री स्टालिन को यह भी सोचना चाहिए कि यदि वह बैठक में जाते तो शायद अपने मुद्दों को उठा पाते लेकिन अब चूंकि वह जा ही नहीं रहे हैं तो एक तरह से वह खुद ही राज्य का नुकसान कर रहे हैं। नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने के मुख्यमंत्री के निर्णय को ड्रामा बताते हुए भाजपा ने पूछा भी है कि इससे मुख्यमंत्री को क्या हासिल होगा? भाजपा ने कहा है कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पाने का स्टालिन का सपना पूरा नहीं हो पाया इसलिए वह केंद्रीय बजट का विरोध कर रहे हैं। 
बहरहाल, देखा जाये तो यह कहना सरासर गलत है कि यह सिर्फ 2 राज्यों का बजट है। बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए 11 लाख 11 हजार 111 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का आवंटन एक या दो राज्यों के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए किया गया है। बुनियादी ढांचे से लेकर चिकित्सा, मध्यम वर्ग के लोगों को आयकर में छूट देना, किसानों को दी जाने वाली सुविधाएं या आदिवासियों को अलग पैकेज देना, यह सब भी एक दो राज्यों के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए है। इसलिए केंद्रीय बजट को लेकर भ्रम और अफवाह फैलाने का खेल बंद होना चाहिए।

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