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2019 में निकले थे आंसू, अब हैं बेहद खुश, पूर्व ISRO प्रमुख ने बताया, क्यों विफल हुआ था Chandrayaan-2

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के सिवन ने गुरुवार को कहा कि साल 2019 में चंद्र मिशन के दौरान हुई एक ‘छोटी सी त्रुटि’ के कारण चंद्रयान-2 मिशन सफल नहीं हो सका। इसरो के पूर्व अध्यक्ष के सिवन ने कहा कि चंद्रयान-2 में हुई एक छोटी सी गलती के कारण हम सफलता हासिल नहीं कर सके। अन्यथा हम चार साल पहले ही ये सब कुछ हासिल कर सकते थे। उन्होंने कहा कि अब हम बहुत खुश हैं कि हमने उस गलती से सीखा और इसे ठीक किया…2019 में ही हमने चंद्रयान-3 को कॉन्फ़िगर किया और क्या सुधार करना है यह भी 2019 में ही तय किया गया था…कल हमने उस प्रयास का फल देखा। 
 

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इसरो के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि आख़िरकार हमारी प्रार्थनाएं सच हुईं। लैंडिंग के बाद हम वापस नहीं आए, रोवर लैंडर से बाहर आने तक मैं कंट्रोल रूम में ही बैठा रहा। रोवर लैंडर से बाहर आया और चंद्रमा की सतह पर चला गया, इसे देखने के बाद ही मैं देर रात अपने घर वापस आया। अंतरिक्ष में 40 दिनों की यात्रा के बाद, चंद्रयान -3 लैंडर, ‘विक्रम’, बुधवार शाम को अज्ञात चंद्र दक्षिणी ध्रुव पर उतरा, जिससे भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चंद्र लैंडिंग मिशन को सफलतापूर्वक संचालित करने वाला चौथा देश बन गया। चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान ने लैंडिंग से पहले विक्रम लैंडर को चंद्रमा की सतह पर क्षैतिज स्थिति में झुका दिया।
 

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अंतरिक्ष यान को 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के लिए एक जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन का उपयोग किया गया था, जिसे 5 अगस्त को चंद्र कक्षा में स्थापित किया गया था और तब से, यह चंद्रमा की सतह पर पहुंचने से पहले कक्षीय प्रक्रियाओं की एक श्रृंखला से गुजरा।

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