साल 1988 की बात है कांग्रेस पार्टी के विरूद्ध एक गठबंधन ने एनडीए के रूप में आकार लिया। एक पार्टी को बहुमत का दौर उस समय तक बीत चुका था। जिसे एक मशहूर पॉलिटिकल साइंटिस्ट ने कांग्रेस सिस्टम कहा था। ये गठबंधन के दौर की शुरुआत थी। इससे पहले 90 के दशक में ही नेशनल फ्रंट और यूनाइटेड फ्रंट की दो-दो गठबंधन सरकारें गिर चुकी थी। एनडीए के साथ 1999 की सरकार में 24 दल साथ आए। प्रधानमंत्री मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जिनके नाम और चेहरे पर उस वक्त तमाम छोटी-बड़ी पार्टियां अलग-अलग धाराओं के बावजूद एक साथ आए थे। बीजेपी का तर्क था कि कांग्रेस के खिलाफ कोई भी गठबंधन बनाने के लिए बीजेपी के नेतृत्व वाला गठबंधन ही एकमात्र विकल्प होगा।
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25 साल बाद देश उसी मोड़ पर खड़ा है बस प्लेयर्स बदल चुके हैं। भाजपा के विरूद्ध लगभग सारी राष्ट्रीय, क्षेत्रीय पार्टियों का एक गठबंधन जिसे INDIA नाम दिया गया है। भाजपा के साथ वाली पार्टियां एक तरफ और भाजपा के खिलाफ वाली पार्टियां एक तरफ। क्या है इस गठबंधन की पॉलिटिक्स और इसका गोंद कितना मजबूत है। भाजपा इसे काउंटर करने के लिए क्या जुगत लगा रही है?
पटना-बेंगलुरू के बाद अब मुंबई में एकजुट होगा विपक्ष
बिहार की राजधानी पटना और उसका ऐतिहासिक गांधी मैदान जहां तपती दोपहर में जून के ही महीने में 49 साल पहले जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांती की घोषणा की थी। खराब हो चुकी व्यवस्था के खिलाफ सबसे जबरदस्त हुंकार का मैदान। राजनीतिक या सियासी संघर्ष के दौर की ऐसी तपोभूमि जिसके गर्भ से इतिहास की धाराएं फूटती रही हैं। जून के ही महीने में 45 डिग्री सेल्सियस के साथ पटना ने एक बार फिर से तपिश को महसूस किया। मौसम के साथ ही सियासी सरगर्मी भी पारा को और बढ़ाती दिखी। ये और बात है कि इस बार हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद गांधी मैदान की बजाए मुख्यमंत्री आवास से हुआ। जेपी के चेले बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए इंदिरा गांधी वाली पार्टी कांग्रेस के साथ कदमताल करती नजर आए। क़रीब 16 विपक्षी दलों की बैठक 23 जून को पटना में बिहार के मुख्यमंत्री आवास एक अण्णे मार्ग में रखी गई।
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गठबंधन की ब्रांड ऑफ पॉलिटिक्स
17 जुलाई को बेंगलुरू में विपक्षी दलों की दूसरी बैठक हुई। इसमें 26 दलों के नेता एकट्ठा हुआ। अनऔपचारिक चर्चा हुई और भोज हुआ। इस बैठक शामिल 26 दलों में से 15 दल वही थे जो पटना की पिछली बैठक में एकट्ठा हुए थे। 18 जुलाई की बैठक में तय हुआ कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले इस गठबंधन का नाम यूपीए नहीं इंडिया होगा। यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस यानी यूपीए अब इंडियन नेशनल डिमोक्रेटिक इंक्लूसिव अलायंस इन शार्ट INDIA कहलाएगा। हिंदी में कहे तो भारतीय राष्ट्रीय लोकतांत्रकि समावेशी गठबंधन। राष्ट्रीय और समावेशी से आप इस गठबंधन के ब्रांड ऑफ पॉलिटिक्स की कुछ हिंट पा सकते हैं।
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